रांची (Ranchi)। झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची (Ranchi) में पुलिस ने सोमवार को राजभवन के पास प्रदर्शन कर रहे पंचायत सचिवालय के स्वयंसेवकों (Volunteers of Panchayat Secretariat performing) पर लाठीचार्ज (baton charge) किया, जिससे कई लोग घायल हो गए। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर उन पर पथराव किया जिसके बाद उन्हें लाठीचार्ज के लिए मजबूर होना पड़ा।
पुलिस ने 20 लोगों को हिरासत में लिया
एक अधिकारी ने बताया कि कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए जिनमें दो को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दूसरी ओर, पंचायत सचिवालय के स्वयंसेवकों ने दावा किया कि उनमें से लगभग 40 लोग लाठीचार्ज में घायल हुए हैं। पुलिस ने पूछताछ के लिए 20 लोगों को हिरासत में लिया है। रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
राज्य स्तरीय पंचायत स्वयं सेवक संघ (एसएलपीएसएसएस) के बैनर तले पंचायत सचिवालय के हजारों स्वयंसेवक पारिश्रमिक के निर्धारण और अपनी सेवाओं के नियमितीकरण सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर सोमवार से शुरू हो रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत रांची के मोराबादी मैदान में एकत्र हुए थे। जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च किया, उन्हें पुलिस ने राजभवन के पास रोक दिया।
कोतवाली के डीएसपी प्रकाश साय (Prakash Soy) ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया, जिसमें पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। उनमें से दो को रांची सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज किया। एसएलपीएसएसएस के सचिव चंद्रदीप कुमार ने दावा किया कि पुलिस लाठीचार्ज में करीब 40 स्वयंसेवक घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें रांची के रिम्स, सदर अस्पताल, गुरु नानक अस्पताल और अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
चंद्रदीप कुमार ने कहा कि 2016 में लगभग 18,000 पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय, राशन कार्ड बनाने और अन्य के तहत आवास निर्माण में मदद करने सहित विभिन्न कार्यों के लिए नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को प्रत्येक कार्य के लिए कुछ प्रोत्साहन मिलता है। हालांकि, वर्तमान सरकार ने पंचायत सचिवालय के स्वयंसेवकों को दिए जाने वाले कार्य को प्रतिबंधित कर दिया है। हम पिछले तीन वर्षों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह हमें समय नहीं दे रहे हैं।
चंद्रदीप ने कहा कि उन्होंने विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि हमारी पहली मांग मुख्यमंत्री से मिलना है। हम एक निश्चित पारिश्रमिक और अपनी सेवा को नियमित कराना चाहते हैं।
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