नई दिल्ली: पाकिस्तान में अब कराची स्थित पुलिस मुख्यालय को आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने निशाना बनाया. 20 दिनों में दूसरा मौका है, जब सुरक्षाबल प्रतिष्ठान पर हमला हुआ. इससे पहले सैन्य मुख्यालय पेशावर में निशाना बना था. टीटीपी के बढ़ते हमले, बेकाबू होते हालात चिंता बढ़ा रहे हैं. चिंता की दो वजह हैं- टीटीपी कुछ समय पहले तक महज खैबर पख्तूनख्वा प्रांत तक सीमित था.
तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद वह सिंध में कराची जैसे आर्थिक हब समेत पूरे देश में फैल चुका है. कराची में जहां हमला हुआ, वह अतिसुरक्षित इलाका है. अमेरिका के अफगानिस्तान से जाते समय छोड़े गए आधुनिक हथियार टीटीपी के बड़े मददगार हैं. इनसे निपटना पाकिस्तानी बलों के लिए भी मुश्किल है.
दूसरा- बढ़ते आतंकी हमलों से डर है कि कहीं परमाणु बम में इस्तेमाल होने वाला रिच यूरेनियम टीटीपी जैसे संगठनों के हाथ न लग जाए. ऐसा हुआ तो अफगानिस्तान से भी ज्यादा अराजक स्थिति पाकिस्तान में होगी. पाकिस्तान की ये सबसे बड़ी चुनौती है कि परमाणु जखीरे को सुरक्षित करे.
सेना-नेता विवादों में, बड़े धार्मिक नेता की कमी
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बड़ी वजह है. फिलहाल किसी भी स्तर पर देश को आगे ले जाने वाला नेतृत्व करने वाला नहीं बचा है. इमरान सरकार को हटाकर सत्ता में लौटे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का ही देश में विरोध हो रहा है. इमरान लोकप्रिय हैं, लेकिन उनकी अनुभवहीनता राजनीति पर भारी पड़ रही है. उनको लेकर सेना की नापसंद सामने है.
देश में कोई नेता ऐसा नहीं जिसकी आवाज का जनता पर असर हो. धार्मिक तौर पर भी यही स्थिति है। कोई भी धार्मिक नेता ऐसा नहीं है, जिसकी अपील का असर हो. सेना तो और भी बेहाल है. उसकी लोकप्रियता इतिहास के सबसे निचले स्तर पर है. कुल मिलाकर पाक नेतृत्वविहीन है. इससे हालात बेकाबू हो चुके हैं.
प्रवासी पाकिस्तानी नहीं भेज रहे पैसा, देश दिवालिया हुआ
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ मान चुके हैं कि देश दिवालिया हो चुका है. देश को कर्ज देने वाले नहीं मिल रहे हैं. आईएमएफ पीछे हट गया है. देश में 80 अरब डॉलर का आयात है. महज 30 अरब डॉलर की चीजें ही निर्यात होती हैं. राहत देने वाले प्रवासी पाकिस्तानी भी अब पैसा नहीं भेज पा रहे, क्योंकि कोरोना में एक बड़े वर्ग को अरब देशों से काम छोड़कर लौटना पड़ा.
इस्लामीकरण की तरफ बढ़ रही पाक सेना
पाकिस्तान की सेना इस्लामीकरण के रास्ते पर है. सेना में जिहादी मानसिकता तेजी से पनप रही है. सेना ने ही टीटीपी, अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को खड़ा किया. सरकार के साथ मिलकर उनके लिए हजारों मदरसे खोले. आज इन्हीं से निकलकर आतंकी वारदात कर रहे हैं. जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठन पाक को कट्टर इस्लामिक बनाने पर तुले हैं.
TTP लड़ाकों की रिहाई, उन्हें पनाह देने से अमन खत्म
विशेषज्ञ मानते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान के समर्थन की नीति पाकिस्तान में सुरक्षा की चरमराती स्थिति की बड़ी वजह है. इमरान सरकार के दौर में अफगानिस्तान में TTP के सैंकड़ों कैदियों की रिहाई, 5000 TTP लड़ाकों को पाकिस्तान में बसाने के लिए लाए जाना भारी पड़ गया. यह कहीं न कहीं पाकिस्तान की शांति से समझौता करने वाला कदम साबित हुआ.
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