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अब भारत देश-विदेश की तत्काल सूचना देंगी खुफिया एजेंसियां

February 19, 2023

नई दिल्‍ली (New Delhi)। किसी भी देश की सुरक्षा के लिए उसकी खुफिया एजेंसियों (Intelligence Agencies) की भूमिका सबसे अहम होती है। फिर चाहे वह आंतरिक सुरक्षा (intrinsic safety) की बात हो या सीमाओं की सुरक्षा के लिए। लगभग सभी देशों ने इन कामों के लिए एक खुफिया तंत्र बिठाकर रखा है। इन एजेंसियों (Agencies) में काम करने वाले लोग और तरीके किसी को पता नहीं होते हैं।



भारत की खुफिया एजेंसी को अब सुरक्षा बलों के आंतरिक खुफिया तंत्र से भी सहयोग मिलेगा। सुरक्षा बल अपने अंदरुनी खुफिया तंत्र को तकनीकी रूप से ज्यादा मजबूत बनाएंगे। साथ ही खुफिया एजेंसियों के बीच रियल टाइम इनपुट साझा करने के लिए भी तंत्र बनेगा। इससे सूचनाओं का विश्लेषण करके इनपुट साझा करने में खर्च होने वाला समय भी बचेगा।
खुफिया तंत्र को कई स्तरों पर और बेहतर बनाने के लिए कई स्तरों पर काम लगातार चल रहा है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए सहित कई अन्य देशों की एजेंसियों के कार्यों को भी भारतीय एजेंसी आपस में साझा कर रही हैं। जिनमें सीआईए, इजरायल की मोसाद, चीन की खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सेफ्टी, फ्रांस की इंटेलिजेंस एजेंसी और ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस आदि के साथ समन्वय किया जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि मल्टी एजेंसी सेंटर से राज्य और जिला स्तर तक खुफिया शाखा को जोड़ने और विभिन्न सुरक्षा बलों की आंतरिक खुफिया विंग को जोड़ने का काम काफी हद तक पूरा कर लिया गया है। इससे बड़ी घटनाओं को टालने में काफी मदद मिल रही है। एक अधिकारी ने बताया कि उपकरणों के लिहाज से भी खुफिया एजेंसियां काफी बेहतर हुई हैं। सुरक्षा बलों के पास ऐसे भी तरीके हैं, जो बेहद गोपनीय संचार को भी पकड़ लेते हैं। हालांकि गोपनीयता के लिहाज से इनकी जानकारी साझा नहीं की गई है। भारतीय एजेंसी नए उपकरण और विशेषज्ञता से अपना तंत्र लगातार मजबूत बना रही हैं।

सूत्रों ने कहा कि खुफिया तंत्र को केंद्र से लेकर स्थानीय स्तर तक इस तरह से जोड़ा गया है, जिससे देश में कहीं भी कोई भी संभावित घटना टाली जा सके। सूत्रों ने कहा, आतंकियों की मौजूदगी की सटीक सूचना और संबंधित सुरक्षा एजेंसियों तक अविलंब पहुंच आदि के लिए तकनीकी, सूचनाओं के प्रवाह और समन्वय के साथ रियल टाइम सूचना पर काफी जोर दिया जा रहा है। आतंकियों और दूसरे अपराधियों के संचार नेटवर्क को तोड़ने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों का दस्ता तैयार किया जा रहा है। आईबी में क्रिप्टोग्राफी साइबर जैसी तकनीक कारगर हो रही है।

सुरक्षा एजेंसियां नई तकनीक को समझने वाले विशेषज्ञों की मदद भी ले रही हैं। खासकर इलेक्ट्रॉनिक, कम्युनिकेशन एवं कंप्यूटर तकनीक प्रोजेक्ट प्लानिंग, टेक्निकल इंस्टालेशन, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, सिग्नल मॉनिटरिंग आदि के क्षेत्रों में। कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस, टेक्निकल इंटेलिजेंस, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट स्किल, जीपीएस, जीआईएस और ग्राउंड सेगमेंट वाले विशेषज्ञ खुफिया तंत्र के अलग-अलग पहलू में मददगार बनकर काम कर रहे हैं।

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