नर्मदापुरम। आज महाशिवरात्रि का पर्व (festival of mahashivratri) बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम (Narmadapuram of Madhya Pradesh) जिले की इटारसी तहसील (Itarsi Tehsil) से 18 किमी दूर सतपुड़ा की घनी वादियों के बीच स्थित स्थान, जिसे लोग तिलक सिंदूर (Vermilion) के नाम से जानते हैं। यहां शिवजी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर दुनिया में अपना अलग स्थान रखता है। यहां शिवलिंग पर जल, दूध आदि तो चढ़ता ही है, इसके साथ ही सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है।
बता दें कि शिवलिंग को सिंदूर का तिलक लगाने से इसका नाम तिलक सिंदूर पड़ गया। पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान गणेश ने सिंदूरी नामक राक्षस का बध किया था और उसके सिंदूरी रक्त से भगवान शिव का अभिषेक किया था। तभी से यहां पर भगवान शिव का सिंदूर से अभिषेक किया जाता है। यहां शिवजी को सिंदूर चढ़ाने से जो भी मनोकामनाएं की जाती हैं, वह पूर्ण होती हैं। फिल्म अभिनेता गोविंदा की मां ने उनकी सफलता के लिए भी यहां पर मनोकामना की थी। इसी स्थान पर मानसी गंगा में लोगों के द्वारा स्नान कर भगवान की पूजन की जाती है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर तिलक सिंदूर में हर साल पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। प्रदेश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां आते हैं। कहा जाता है कि पूरे देश में यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां भगवान शंकर को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इस स्थान का अस्तित्व राजा महाराजाओं के समय से है। प्राचीन समय में आदिवासी राजा द्वारा यहां पर पूजन का कार्य कराया जाता था।
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