इंदौर (Indore)। अवैध निर्माणों, जमीनी जादूगरों (earth wizards) के खिलाफ बीते तीन सालों से लगातार कार्रवाई की जा रही है, बावजूद इसके कई रसूखदार अभी भी बाज नहीं आ रहे। इसका उदाहरण कल निगम (Corporation) द्वारा की गई कार्रवाई में देखने को मिला, जिसमें कनाडिय़ा रोड पर आस्था कंस्ट्रक्शन मामले में उन्हीं रसूखदारों के नाम हैं जिनके खिलाफ पुलिस-प्रशासन गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज करवा चुका है। निगम ने वैसे 84 कॉलोनियों को चिन्हित किया है जो वैध की जाने वाली कॉलोनियों की पात्रता में नहीं आती और उन पर बुलडोजर चलाए जाएंगे। आज हालांकि निगम को पुलिस बल नहीं मिला, जिसके चलते रिमूव्हल की कार्रवाई नहीं हो सकी। अलबत्ता दो दिन में चार अवैध कॉलोनियों को अवश्य ध्वस्त किया गया।
निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने जहां अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया को तेज करवाया, वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ समय से विकसित की जा रही अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाने के निर्देश भी दिए। साथ ही इनसे संबंधित कालोनाइजरों पर एफआईआर भी संबंधित थाने में दर्ज करवाई जा रही हैै। आज भी कनाडिय़ा रोड पर दो अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलना थे। मगर निगम अधिकारियों का कहना है कि पुलिस बल ना मिलने के कारण कार्रवाई नहीं की जा सकी। संभवत: कल भी हो सकता है कि बल ना मिले, क्योंकि शहरभर में महाशिवरात्रि के चलते मंदिरों में होने वाले नियंत्रण में भी पुलिस जवानों की ड्यूटी लगेगी। बीते दो दिनों में निगम ने चार अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलवाए हैं।
वहीं कल छोटा बांगड़दा के अलावा कनाडिय़ा रोड पर भी कृषि जमीनों पर विकसित की जा रही अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया गया। यह कॉलोनी आस्था कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा बिना अनुमति कृषि जमीन को भूखंडों में विभाजित कर विकसित की जा रही थी, जिसके लिए नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर नगर निगम या प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई। वहीं थाना प्रभारी कनाडिय़ा को निगम ने एफआईआर के लिए जो पत्र भेजा उसमें मुकेश सेवकराम खत्री के साथ पार्टनरशिप डीड में उल्लेखित सुरेन्द्र और प्रतीक संघवी का नाम भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि इनके खिलाफ पूर्व में प्रशासन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों में हुई धोखाधड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज करवा चुका है। यानी लगातार कार्रवाई के बावजूद शहर के जमीनी जादूगर अभी भी अवैध क्रियाकलापों से बाज नहीं आ रहे हैं।
जहां संस्थाओं की जमीनों से लेकर अन्य में फिर से खेल शुरू कर दिए, तो इसी तरह अवैध निर्माण भी किए जा रहे हैं। चिराग, चम्पू, धवन का मामला भी बीते दिनों सुर्खियों में रहा, जिसके चलते अपर कलेक्टर को हाईकोर्ट में हकीकत बताना पड़ी। दूसरी तरफ नगर निगम पात्र अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में भी जुटा हुआ है और जो नई विकसित अवैध कॉलोनियां हैं उन पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। अभी पहले चरण में निगम ने 106 और फिर उसके बाद 98 कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू करवाई है। वैसे तो निगम सीमा में नागरिक अधोसंरचना प्रदान करने के लिए चिन्हित की गई कॉलोनियों की कुल संख्या 622 है, मगर इनमें सरकारी विभागों की आपत्ति, जमीनी विवाद न्यायालयों में चलने और अन्य कारणों से 328 कॉलोनियों को बाहर रखा गया है। निगम ने चिन्हित की गई अवैध कॉलोनियों में दावे-आपत्ति और उनके निराकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है और सवा सौ से अधिक कॉलोनियों की नजूल एनओसी भी प्राप्त हो गई है।
दूसरी तरफ आवासीय उपयोग पर व्यवसायिक निर्माण भी धड़ल्ले से शुरू हो गए। अभी निगम ने एलआईजी लिंक रोड पर भी एक कैफे को सील करवाया, जो कि बिना कार्यपूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र शुरू कर दिया था। हालांकि निगम अधिकारियों पर अभी चल रही कार्रवाई के चलते राजनीतिक दबाव-प्रभाव भी आ रहा है, क्योंकि अधिकांश जमीनी जादूगर ना सिर्फ रसूखदार हैं, बल्कि नेताओं-अफसरों से भी जुड़े हैं। दूसरी तरफ खजराना की सरकारी सीलिंग की जमीन सर्वे नं. 325/3/2/1 और 325/3/2/2 पर पटेल नगर बसाने वाले के खिलाफ भी पिछले दिनों कार्रवाई हुई और प्रशासन ने कल उक्त जमीन पर बोर्ड भी लगवाया। मगर सूत्रों का कहना है कि दिन में लगाए गए इस बोर्ड को शाम को निकाल दिया।
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