मुम्बई (Mumbai)। महाराष्ट्र (Maharashtra) के शिंदे बनाम उद्धव (Shinde Vs Thackeray) विवाद से जुड़े एक अहम पहलू पर आज शुक्रवार को सुनवाई होगी. इस मामले को 7 जजों की बेंच (bench of 7 judges) को भेजने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार सुबह 10.30 बजे आदेश सुनाएगा. उद्धव कैंप (Uddhav Camp) ने 2016 के ‘नबाम रेबिया’ फैसले को गलत बताते हुए यह मांग की है. इस फैसले में 5 जजों की बेंच ने कहा था कि अगर स्पीकर को पद से हटाने का प्रस्ताव लंबित है, तो वह एमएलए (MLA) की अयोग्यता पर विचार नहीं कर सकते।
इसी वजह से एकनाथ शिंदे की बगावत (rebellion of eknath shinde) के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) के तत्कालीन डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार नहीं दे पाए थे. शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों को लेकर 2016 के एक फैसले के बारे में पुनर्विचार के लिए महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा जाए।
उद्धव ठाकरे गुट ने क्या कहा?
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि नबाम रेबिया मामले में निर्धारित कानून पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. सिब्बल ने कहा कि ये हमारे लिए नबाम रेबिया और 10वीं अनुसूची पर फिर से विचार करने का समय है, क्योंकि इससे बहुत नुकसान हुआ है।
शिंदे गुट ने किया विरोध
उन्होंने दलील दी कि 10वीं अनुसूची राजनीतिक दल-बदल को प्रतिबंधित करने और रोकने का प्रयास करती है, जिसे लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में जाना जाता है. दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और नीरज किशन कौल ने नबाम रेबिया पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता का विरोध किया।
शिंदे गुट के वकीलों ने तर्क दिया कि एक अध्यक्ष को विधायकों को अयोग्य ठहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब वह खुद हटाने के प्रस्ताव का सामना कर रहा हो. साल 2016 में, पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले का फैसला करते हुए कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं, जब खुद उनके खिलाफ उन्हें ही हटाए जाने की अर्जी लंबित हो।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
मामले की सुनवाई करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने टिप्पणी की थी कि नबाम रेबिया (Nabam Rebia) के संबंध में दोनों विचारों के गंभीर परिणाम हैं और इसलिए ये निर्णय लेने के लिए एक कठिन प्रश्न था. ये बहुत पेचीदा संवैधानिक मसला है, जिसपर हमें फैसला करना है।
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