शिलांग (Shillong)। मेघालय (Meghalaya) में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले प्रचार का यह आखिरी चरण है। भाजपा (BJP) के अभियान को अंतिम रूप देने के लिए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) गुरुवार को राज्य का दौरा करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की यात्रा अगले सप्ताह होने वाली है। दोनों भाजपा नेता तुरा में अपने चुनावी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। तुरा वर्तमान मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष कॉनराड संगमा (Conrad Sangma) के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के लिए भी सत्ता की चाभी रही है। मुकुल संगमा अब कांग्रेस से टीएमसी में चले गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने मेघालय विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी किया जिसमें सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने और राज्य के कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया गया है। भाजपा ने राज्य की सत्ता में आने पर कैंटीन के माध्यम से पांच रुपये में भोजन, बालिकाओं को स्नातकोत्तर तक नि:शुल्क शिक्षा, कॉलेज में उच्च वरीयता पाने वाली बालिकाओं के लिए नि:शुल्क स्कूटर, बच्ची के जन्म पर 50,000 रुपये का सरकारी बांड और महिलाओं की एक पुलिस बटालियन शुरू करने का वादा किया है।
… तो अपना सीएम चाहती है भाजपा
अमित शाह का चुनावी अभियान गुरुवार से शुरू होगा और पूरे दो दिन तक वे इस दूरस्थ पहाड़ी जिले पर केंद्रित रहेंगे। जबकि पीएम मोदी 24 फरवरी को मेघालय पहुंचेंगे और तुरा में एक रैली और शिलांग शहर में एक रोड शो करेंगे। शिलांग में बीजेपी को बड़ा वोट शेयर मिलने की उम्मीद है। तुरा इलाके को सीएम संगमा के गढ़ के अलावा, गारो जनजाति के घर के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में इस इलाके में शीर्ष नेताओं के दौरे से भाजपा स्पष्ट संदेश देना चाहती है। भाजपा संदेश साफ है कि पिछले 5 वर्षों से वह भले ही एनपीपी के साथ गठबंधन सरकार में हो लेकिन इससे वह बैकफुट पर नहीं खेलेगी। गारो हिल्स में 24 विधानसभा सीटें हैं। ईसाई बहुल राज्य में बेहद कम उपस्थिति के साथ, भाजपा की कोशिश न केवल अपनी सीटों की संख्या और वोट शेयर बढ़ाने की है, बल्कि अपना मुख्यमंत्री स्थापित करने की भी है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो पार्टी को 6-7 सीटों पर जीत का भरोसा है। अगर भाजपा के पक्ष में हवा रहती है तो 60 सदस्यीय विधानसभा में उसे 15 सीट जीतने तक का भरोसा है। भाजपा का मानना है कि उसने राज्य के लगभग 9.6 प्रतिशत वोट शेयर को अपनी ओर रिझा लिया है। इसलिए अगर भाजपा 15 सीटें जीतती है को वह अपना सीएम पेश करने का दावा कर सकती है क्योंकि 2018 में 18 सीटें जीतने के बाद कोनराड संगमा सीएम बने थे।
बीजेपी तीन कारकों पर भरोसा कर रही है।
1: उन निर्वाचन क्षेत्रों में हिंदू (गैर-स्थानीय) वोटों को मजबूत करना जहां वह बड़ी संख्या में रहते हैं।
2: क्षेत्रीय दलों के बीच विवाद का फायदा उठाकर। वे मानते हैं कि गैर-बीजेपी वोट विभाजित हो जाएंगे।
3: गैर-बीजेपी मतदाताओं को लुभाने के लिए विकास के मुद्दे का इस्तेमाल करके।
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सभी आश्रित विधवाओं और अकेली माताओं को 24,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान करने, पीएम उज्ज्वला योजना के सभी लाभार्थियों को दो नि:शुल्क एलपीजी सिलेंडर और 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा भी किया गया है। नड्डा ने इस अवसर पर कहा, ‘‘हमने मेघालय में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने का फैसला किया है और कर्मचारियों का वेतन समय पर दिया जाएगा ताकि पूरा तंत्र अच्छी तरह काम करे।’’ भाजपा ने राज्य में भ्रष्टाचार के सभी मामलों में जांच के लिए एक ‘विशेष कार्यबल’ के गठन का भी वादा किया है। नड्डा ने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
भाजपा को लगता है कि वह इस साल पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में है। 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में, इसने 60 सीटों में से 47 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे – क्योंकि इसे बाकी सीटों को भरने के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिले थे। लेकिन 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस साल इसने सभी 60 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
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