भोपाल। 2018 के विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा इस बार चुनावी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती है। इसके लिए पार्टी का सबसे अधिक फोकस हारी हुई विधानसभा सीटों पर है। इन सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी समयदानी कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी। वहीं पार्टी कम मार्जिन से हारने वाली सीटों पर विशेष रणनीति के साथ उतरेगी, ताकि उन सीटों को आसानी से जीता जा सके।
भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 2018 में हारी हुई सीटों पर संगठन में कसावट और नए कार्यकर्ताओं की भर्ती की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश कार्यसमिति बैठक में भी आकांक्षी सीटों पर विशेष ध्यान देने की बात हुई थी। इसके बाद ऐसी कमजोर सीटों की पड़ताल की गई। इसी के तहत भाजपा समयदानी कार्यकर्ताओं को तीन माह के लिए हारी हुई विधानसभाओं में भेजेगी। भाजपा प्रदेश संगठन ने इसके लिए जिला व नगर संगठनों से नाम मांगे हैं। खास बात यह है कि कार्यकर्ताओं को तीन महीने तक हारे हुए विधानसभा क्षेत्र में ही रहना होगा। संगठन का प्रयास है कि पूर्व विधायक, पूर्व पार्षदों, पूर्व नगर व प्रदेश पदाधिकारियों के साथ ही मंडल स्तर के कार्यर्कताओं को भी इसमें शामिल किया जाए।
तीन माह तक एक ही विधानसभा में
समयदानी वे कार्यकर्ता जो तीन माह तक एक ही विधानसभा में रह सकें। इस दौरान वे घर नहीं जाएंगे। बहुत जरूरी कार्य होने या किसी खास प्रयोजन से ही वे संगठन की अनुमति से घर जा सकेंगे। ये कार्यकर्ता संबंधित विस में ही किसी कार्यकर्ता के घर रुकते हैं, ताकि रोजाना कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर सकें। बूथ से लेकर मंडल और वार्ड से नगर व जिला स्तर तक के पदाधिकारी इसमें शामिल रहेंगे। खास बात यह है कि संगठन ऐसे कार्यकर्ताओं को अलग श्रेणी में रखता है। जिन्हें उनके कद के अनुसार भविष्य में नगर, जिला या प्रदेश की टीम में शामिल किया जाता है या फिर कोई अन्य अहम जिम्मेदारी दी जाती है। हालांकि संगठन के लिए यह उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि एक साथ तीन माह का समय देना प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए आसान नहीं होगा। बताते हैं कि भोपाल के कार्यकर्ताओं को बाहर भी भेजेंगे, जबकि अन्य जिलों से कार्यकर्ता भोपाल आएंगे। भाजपा के जिला संगठन ने इस मामले में कार्यकर्ताओं से नाम मांगने शुरू कर दिए हैं। जो कार्यकर्ता तैयार होंगे, उनके नाम प्रदेश संगठन को भेजे जाएंगे। वहीं से तय होगा कि किस कार्यकर्ता को किस विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी जाना है।
प्रदेश की 46 सीटों पर भाजपा का फोकस
भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी सभी आकांक्षी सीटों पर विशेष ध्यान देगी ही लेकिन सबसे अधिक फोकस उन 46 सीटों पर होगा जहां महज 5 हजार से कम वोटों से हार-जीत हुई थी। कम अंतर से भाजपा ने 24 सीटें जीत ली थीं, जबकि 22 गंवा दी थीं। मार्च में सरकार के तीन साल पूरे होने के साथ ही इन विधानसभाओं में पार्टी अपना फोकस बढ़ाने जा रही है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ग्वालियर दक्षिण, दमोह, पथरिया, नेपानगर जैसी भाजपा की परंपरागत सीटें भी मामूली अंतर से गंवा दी थी। एक हजार से भी कम अंतर से हारी सीटों में ग्वालियर ग्रामीण, सुवासरा, जबलपुर-उत्तर, राजनगर, दमोह, ब्यावरा, राजपुर शामिल है। वहीं दो हजार के कम अंतर से हारी सीटों में मांधाता, नेपानगर, गुन्नौर, तीन हजार के कम अंतर से हारी सीटों में जोबट, मुंगावली, पथरिया, तराना, पिछोर, सांवेर, चार हजार के कम अंतर से हारी सीटों में छतरपुर, वारासिवनी और 5 हजार से कम अंतर से हारी सीटों में चंदेरी, देवरी, घटिया, पेटलावद शामिल हैं।
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