तराना। तहसील के ग्राम नाटाखेड़ी में दो अति प्राचीन शिव मन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में विद्यमान है। ग्राम नाटाखेड़ी के वर्तमान सरपंच राजेश गुर्जर फौजी ने इन मन्दिरों के संबंध में जानकारी जुटाने का प्रयास किया व कुछ पुरातत्वविदों से इस क्षेत्र मे आकर सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया था, ताकि इनके पुरातात्विक महत्व को उजागर किया जा सके, साथ ही आने वाले समय में इस अमूल्य धरोहर का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार हो सके। इस संबंध में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के शोधार्थी शुभम केवलिया के साथ यशवंतसिंह तंवर एवं ध्रुव जैन ने डॉ. रितेश लोट प्राध्यापक प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शन में ग्राम नाटाखेड़ी का दौरा किया। सर्वेक्षण के दौरान शोधार्थियों ने बताया कि यहाँ पर कुछ प्राचीन शीलाएं, मूर्तियां एवं नन्दी लंबे समय से रखे हुए है, जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया है।
पुरातत्वविद शुभम केवलिया ने बताया कि इन अवशेषों को देखने से मालूम होता है कि इस स्थान पर दो शिव मन्दिर परमार कालीन यानि 11वीं व 12वीं शताब्दी ई. में संभवत: निर्मित किए गए होंगे। वर्तमान में मन्दिर का अधिष्ठान ही यहाँ शेष है जो पूर्ण रूप से दिखाई दे रहा है जिससे यह ज्ञात होता है कि यह पंचरथ शैली का मन्दिर रहा होगा। मन्दिर के आसपास के क्षेत्र में दो नन्दी व दो जलाधारी, चन्द्र शीलाएं भी दिख रही है, इसके साथ ही ब्रम्हा, विष्णु की प्रतिमाएं भी रखी हुई है। इन पुरातात्विक अवशेषों को देख कर यह लगता है कि उक्त क्षेत्र पुरातात्विक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान है व शासन को भी इस स्थान की और ध्यान देकर खुदाई कराते हुए मन्दिर के अवशेषों को एकत्रित कर इसके सरंक्षण एवं जीर्णोद्धार के प्रयास करने चाहिये। इस संबंध में सरपंच राजेश गुर्जर द्वारा राज्य शासन को भी अवगत कराया गया है।
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