नई दिल्ली। तस्करी से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। यह सरकार के अमृतकाल के दृष्टिकोण के तहत भारत के 40 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी बनने की राह में रोड़ा बन सकता है।
भारतीय उद्योग महासंघ (फिक्की) की तस्करी एवं जाली वस्तुओं से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान के खिलाफ समिति (कैस्केड) की एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है। इसमें कहा गया है कि पांच उद्योगों में अवैध व्यापार की वजह से भारत सरकार को कर के रूप में होने वाला नुकसान 2019-20 में 163 फीसदी बढ़कर 58,521 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
इन पांच अवैध व्यापार वाले उद्योगों में अल्कोहल, मोबाइल फोन, दैनिक उपयोग वाली घरेलू एवं निजी वस्तुएं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ और तंबाकू उत्पाद शामिल हैं। कर चोरी से होने वाले नुकसान में सबसे ज्यादा 227 फीसदी की वृद्धि अल्कोहल और तंबाकू वाले उत्पादों के अवैध व्यापार से हुई है।
तस्करी 21वीं सदी का अपराध
फिक्की कैस्केड के चेयरमैन अनिल राजपूत ने कहा कि तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत अभियान चलाने की जरूरत है। यह अभियान तस्करी पर लगाम लगाने के लिए उपभोक्ताओं और युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करेगा, जो राष्ट्र निर्माण में बाधा बन गया है। उन्होंने कहा, तस्वरी को 21वीं सदी का अपराध करार दिया गया है।
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