इस्लामाबाद (Islamabad)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन (Shanghai Cooperation Organization (SCO) Conference) के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए चार और पांच मई, 2023 को गोवा में विदेश मंत्रियों की बैठक (Foreign Ministers meeting in Goa) होगी। विश्लेषकों का कहना है कि एससीओ सदस्य सितंबर, 2022 की बैठक के प्रस्तावों को आगे बढ़ाएंगे और क्षेत्र और दुनिया के सामने मौजूद ज्वलंत मुद्दों पर विचार करेंगे। भारत ने पाकिस्तान को इस बैठक के लिए न्यौता दिया है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की दुविधा बढ़ गई है।
एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारत के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को दिए गए निमंत्रण पर पाकिस्तान ने बयान दिया है। उनका कहना है कि मामले पर अभी फैसला करना बाकी है। दरअसल, पाकिस्तान और भारत एससीओ के सदस्य हैं। भारत 2022-2023 के लिए एससीओ परिषद के प्रमुखों की अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने गोवा में 4-5 मई, 2023 को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में चीन के नए विदेश मंत्री किन गैंग और पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को निमंत्रण भेजा है।
20 वर्षीय संगठन में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान और चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं। ईरान सदस्य बनने वाला नवीनतम देश है और भारतीय अध्यक्षता में पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में समूह की बैठक में भाग लेगा। शंघाई सहयोग संगठन की पिछली बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि पाकिस्तान को एससीओ बैठक के मेजबान के रूप में भारत द्वारा भेजा गया निमंत्रण मिला है। वह इसकी समीक्षा कर रहा है। बैठक में भाग लेने के बारे में विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय निमंत्रण पर अतीत की तरह, मानक प्रक्रियाओं के तहत कदम उठाए जा रहे हैं और उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि एससीओ एक महत्वपूर्ण अंतर-क्षेत्रीय संगठन है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंधों और सहयोग को मजबूत करना है।
फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध गंभीर रूप से तनावपूर्ण हो गए थे। अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा के बाद दोनों देशों के संबंध और बिगड़ गए।
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