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    UP: पहले की पत्‍नी-बच्‍चों की हत्या, फिर खुद को किया आग के हवाले….एक रात में ऐसे उजड़ गया पूरा परिवार

  • February 06, 2023

    गोरखपुर (Gorakhpur)। गोरखपुर (Gorakhpur) में एक सब्जी विक्रेता ने अपनी पत्नी और दो मासूम बच्चों की गला रेत कर हत्या करने के बाद आत्मदाह कर लिया। पुलिस ने घटनास्थल से खून से सना सब्जी काटने वाला एक चाकू बरामद कर लिया है। शुरुआती जांच में घटना की वजह गृहकलह बताई जा रहा है। बताया जा रहा है कि जुए की लत से बढ़ते कर्ज के बोझ और सूदखोरों के आतंक ने देवकली गांव के इंद्रबहादुर को पहले पत्नी और बच्चों का कातिल बनाया और फिर खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया।

    गोला थाना क्षेत्र के देवकली गांव का इंद्रबहादुर मौर्य (42) गांव में ही सब्जी की दुकान लगाकर परिवार चलाता था। उसका घर गांव के बाहर खेत में है। रविवार सुबह उसके घर से धुआं उठता देख गांव के एक व्यक्ति ने शोर मचाया। आसपास के लोगों ने दरवाजा तोड़कर अंदर देखा तो एक कमरे में इंद्रबहादुर की पत्नी सुशीला देवी (38), पुत्री चांदनी (10) और पुत्र आर्यन (8) की लाशें पड़ी थीं। खुद इंद्रबहादुर आग में बुरी तरह जलकर तड़प रहा था। पत्नी और बच्चों के शरीर पर कई जगह जख्म के निशान थे। देखने से लग रहा था कि नींद में ही उनकी गला रेत कर हत्या करने के बाद इंद्रबहादुर ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली। लोगों ने आग बुझाने के लिए उसके ऊपर पानी डाला। हालांकि, अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

    ग्रामीणों के मुताबिक कर्ज लेकर जुआ खेलने को लेकर उसका अपनी पत्नी के साथ अक्सर विवाद (Controversy) होता रहता था। एक सप्ताह पहले भी विवाद हुआ था, तब इंद्रबहादुर ने कसम खाई थी कि वह जुआ नहीं खेलेगा। इसके बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया।

    सूचना पर पहुंची पुलिस और फॉरेंसिक टीम (forensic team) ने छानबीन शुरू की। डीआईजी जे रवीन्द्र गौड़, डीएम कृष्णा करुणेश, एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर, एसपी साउथ अरुण कुमार सिंह सहित कई पुलिस व प्रशासिनक अधिकारियों ने भी मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली।


    एक में पढ़ता था बेटा चौथी कक्षा में बेटी
    इंद्रबहादुर दो भाइयों में छोटा था। वह अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ गांव में रहता था। बेटी कक्षा चार की छात्रा थी, जबकि बेटा आर्यन कक्षा एक में पढ़ता था। इंद्रबहादुर बड़ा भाई जय बहादुर अपने परिवार के साथ तीन साल पहले घर छोड़कर कहीं चला गया था। वहीं मां सुभावती देवी छह महीने पहले अपनी बेटी के यहां भिलाई गई हैं। मौत की खबर मिलने के बाद मां गांव आ रही है। हालांकि, भाई का अभी कहीं पता नहीं है।

    मौत का भयानक मंजर देखकर सभी स्तब्ध रह गए
    इंद्रबहादुर मौर्य का मकान गांव से बाहर खेत में बना है। उसके घर के पीछे कुछ दूरी पर एक-दो मकान है जबकि अन्य तरफ 300 से 500 मीटर दूर-दूर तक मकान हैं। यही वजह है कि रात में किसी तरह की आवाज या आहट किसी को नहीं मिली। गांव के रामाश्रय मौर्य सुबह खेत में काम कर रहे थे। उन्होंने ही इंद्रबहादुर के घर से धुआं निकलता हुआ सबसे पहले देखा और आवाज दी लेकिन किसी तरह की प्रतिक्रिया न होने पर गांव के कुछ युवकों को बुलाकर अंदर गए तो मौत का भयानक मंजर देखकर सभी स्तब्ध रह गए।

    झुलसने के बाद भी सुबह आठ बजे तक जिंदा था इंद्रबहादुर
    सुबह आठ बजे के करीब जब गांव के लोग इंद्रबहादुर के घर में घुसे तब वह बुरी तरह झुलसने के बाद भी जिंदा था। घटनास्थल को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इंद्रबहादुर ने बीवी और बच्चों की जान आधी रात में ले ली थी और सुबह तक इस उधेड़बुन में रहा कि पत्नी और मासूम बच्चों का हत्यारा बनकर समाज के सामने कैसे आएगा, साथ ही सूदखोरों के आतंक से कैसे पीछा छूटेगा। कोई रास्ता नहीं सूझने पर उसने खुद को आग के हवाले कर दिया।

    गांव में बड़े पैमाने पर जुआ खेला जाता है पर पुलिस इससे बेखबर थी। बीट सिपाही या फिर हल्का दरोगा तक को इसकी खबर नहीं थी। उधर, गांव का हर अमन-पंसद व्यक्ति जुए के अड्डों से त्रस्त है। इन्द्रबहादुर की पत्नी सुशीला भी इसी मुसीबत से गुजर रही थी। पति न सिर्फ जुए में सब कुछ हार रहा था बल्कि उस पर कर्ज भी बढ़ता जा रहा था। सूदखोर पैसे के लिए तंग कर रहे थे यह सब सुशीला को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इसे लेकर परिवार में झगड़ा होता था।

    एक हफ्ते पहले हुए विवाद में इंद्रबहादुर ने घर का टीवी तक तोड़ दिया था। ग्रामीणों के मुताबिक एक सप्ताह पहले जुए और कर्ज को लेकर ही पति-पत्नी के बीच विवाद के बाद इंद्रबहादुर ने जुआ छोड़ने की कसम खाई थी। घटना की जानकारी के बाद महराजगंज से देवकली पहुंचे सुशीला के भाई विनोद ने पुलिस को दी तहरीर में कहा है कि उसका बहनोई इंद्रबहादुर शराब और जुए का लती था। वह जमीन, खेत और घर के सामान बेचकर जुआ खेलता था। सुशीला विरोध करती तो विवाद होता था। उसकी लत नहीं छूटी और पूरा परिवार खत्म हो गया।

    पत्नी को चार तो बच्चों को दो बार मारा था चाकू
    इंद्रबहादुर ने पत्नी सुशीला के शरीर में चार जगह तो वहीं बच्चों को दो जगह चाकू मारा था। उसने पत्नी सुशीला के गले, पेट और दाहिने हाथ में और दाहिने पैर के कूल्हे में कुल चार जगह चाकू मारा था, जबकि बेटी चांदनी (10) और बेटे आर्यन (8) के गले व पेट में चाकू मारा गया। इन्द्रबहादुर का शरीर सर से घुटने तक जला हुआ था। दो डॉक्टरों की टीम ने वीडियो रिकार्डिंग के साथ पोस्टमार्टम किया। सुशीला के भाई विनोद ने बहनोई पर बहन और बच्चों की हत्या का आरोप लगाया है। पुलिस ने मृतक इंद्र बहादुर पर हत्या का केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।

    सूदखोरों से परेशान होकर गांव छोड़ चुका है बड़ा भाई
    इंद्रबहादुर का बड़ा भाई जयबहादुर भी जुए का लती था। जुए की लत में उस पर इतना कर्ज चढ़ गया था कि वह अपनी दस डिसमिल जमीन बेचकर तीन साल पहले परिवार के साथ गांव छोड़कर भाग गया। सूदखोरों का आतंक इस कदर था कि डेढ़ साल पहले उसके पिता का निधन हुआ तब भी वह गांव नहीं आया। अभी भी जय बहादुर के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है।

    एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि पत्नी और बच्चों की हत्या के बाद सब्जी विक्रेता द्वारा खुदकुशी की बात सामने आ रही है। फॉरेंसिक और सर्विलांस टीम को लगाया गया है। कर्ज के दबाव और जुए को लेकर भी छानबीन की जा रही है।

    शाहपुर में पिता और बेटियों ने की खुदकुशी
    13 नवंबर 2022 शाहपुर में पिता और दो नाबालिग बेटियों ने जिंदगी से तंग आकर सुसाइड कर लिया। बेटियों के शव पंखे के सहारे दुपट्टे से लटके थे, जबकि पिता दूसरे कमरे में पंखे से लटका था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी सुसाइड की पुष्टि हुई। मृतकों के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले थे। इस मामले में भी आर्थिक तंगी वजह रही।

    जंगल धूसड़ में दंपती ने किया था सुसाइड
    9 दिसंबर 2022 पिपराइच थानाक्षेत्र के जंगल धूसड़ में पति-पत्नी से सुसाइड कर लिया। कमरे में पत्नी और बाहर पति का शव मिला। दोनों शवों के बीच 100 मीटर की दूरी थी। मकान मालिक ने मामले की सूचना पुलिस को दी था। पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था।

    जुए में पैसे की कमी नहीं होने देते सूदखोर
    जहां जुआ खेला जाता है सूदखोर रुपये लेकर बैठे रहते हैं। कोई हार रहा है या फिर किसी को जुआ खेलना है तो वे मन मुताबिक ब्याज पर तुरंत रुपये देते हैं। अगर वह जीत जाता है तो तुरंत वसूली हो जाती है और हारता है तो उसकी भरपाई जमीन जायदाद, घर के गहने आदि बेचकर करता है। देवकली में कई लोग अपना सब कुछ गवां चुके हैं।

    पुलिस बेखबर थी या यहां भी चलती है वसूली
    इतने बड़े पैमाने पर चल रहे जुए को लेकर पुलिस बेखबर थी या फिर इस धंधे में सेटिंग कर रखी थी। इसकी जांच भी शुरू हो गई है। बीट सिपाही और हल्का दरोगा को हर गांव की गतिविधियों पर नजर रखनी होती है पर यहां के जुए के धंधे और बर्बाद हो रही पीढ़ियों तथा पलायन कर रहे लोगों के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। गांव में चल रहे जुए और सूदखोरी की वजह से दर्जनों लोग पलायन कर चुके हैं। कुछ ने कर्जदारों से बचने के लिए गांव छोड़ दिया है तो वहीं कुछ जुए की इस लत को छुड़ाने के लिए ही बाहर चले गए हैं। इस गांव के ज्यादातर लोग जुए की बुरी लत में फंसे हुए हैं और जुआ खेलने के लिए मकड़जाल में उलझे हुए हैं।

    जनता दर्शन में शिकायत के बाद छूटा पीछा
    देवकली गांव के ही संत कुमार मौर्य भी तीन साल पहले सूदखोरों के दबाव से परेशान थे। उन्होंने इसकी शिकायत गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री के जनता दरबार में किया था जिसके बाद सूदखोंरों से उनका पीछा छूटा था।

    गोरखनाथ में मां-बेटे ने किया था सुसाइड
    13 नवम्बर 2022 शहर के हुमायूंपुर में रहने वाली एक मां ने अपने छोटे बेटे के साथ सुसाइड कर लिया। यहां भी वजह सूदखोरी ही बताई गई। पता चला कि कर्ज की रकम लौटाने के लिए सूदखोर परेशान कर रहे थे जिसकी वजह से मां-बेटे ने जान दे दी। मां और बेटे ने जहर खा लिया था। घर में ही उनकी लाश मिली थी।

    व्यापारी ने परिवार के साथ की थी खुदकुशी
    वर्ष 2019 में कर्ज में डूबे राजघाट क्षेत्र के रकाबगंज में रहने वाले व्यापारी रमेश गुप्ता ने परिवार के साथ खुदकुशी कर ली थी। पत्नी, एक बेटे, और दो बेटियों को जहर देकर ट्रेन से कटकर रमेश गुप्ता ने खुद भी जान दे दी थी। रमेश की पहले गीडा में थी नमकीन फैक्ट्री थी जो कर्ज के चलते बंद हो गई थी। इसके बाद में रमेश ने तेल और दाल का कारोबार शुरू किया था।

    धुआं देख दरवाजा तोड़कर भीतर पहुंचे तो दंग रह गए
    देवकली निवासी रामाश्रय मौर्य ने बताया कि ‘मैं खेत में काम कर रहा था, उसी दौरान इंद्रबहादुर के घर से धुंआ उठता देख उसके घर पहुंच कर आवाज दिया कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर गांव के रघवीर गौड़, प्रदुम्मन मौर्य और अजीत मौर्य को बुलाया। हम सभी ने मिलकर दरवाजा तोड़ा तो अंदर का नजारा एकदम अलग था। कमरे में तख्त पर इंद्रबहादुर की पत्नी और दोनों बच्चों की लाश पड़ी थी। इंद्रबहादुर बुरी तरह झुलस चुका था लेकिन जिंदा था। पानी डालकर आग बुझाई गई लेकिन इसी बीच उसकी मौत हो गई।’

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