भोपाल (Bhopal) । इस साल के अंत में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। अब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबले देखने वाले राज्य में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (आप) ने भी एंट्री मार दी है। पार्टी ने आगामी चुनाव में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने इसके लिए सदस्यता अभियान तेज करने के साथ बूथ स्तर तक टीमों की तैनाती शुरू कर दी है। पार्टी ने कहा है कि गुजरात,पंजाब और दिल्ली (Gujarat, Punjab and Delhi) की तरह मध्य प्रदेश में भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा जाएगा।
दिल्ली और पंजाब (Delhi and Punjab) में सरकार चला रही एक दशक पुरानी पार्टी ने हाल ही में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भी पांच सीटें जीती हैं। राष्ट्रीय पार्टी होने की शर्त पूरी कर चुकी पार्टी अब 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कुछ और राज्यों में दस्तक देने की तैयारी में है, जिसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। पार्टी निकाय चुनावों में कई जगह ‘झाड़ू’ फेर चुकी है। पिछले साल जुलाई में हुए चुनाव में ‘आप’ ने सिंगरौली में मेयर का पद कब्जा लिया था। तब से ही पार्टी के विधानसभा चुनाव में भी उतरने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। अब पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान कर दिया है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाठक ने शनिवार को भोपाल में सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। राज्यसभा सांसद ने कहा कि पार्टी पंजाब, दिल्ली और गुजरात की तरह पूरी ताकत से चुनाव लड़ने जा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब की तरह मध्य प्रदेश में भी यदि उनकी पार्टी की सरकार बनी तो मुफ्त सुविधाएं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं और इसी वजह से सभी संगठन ईकाई भंग किए गए हैं, जल्द ही नई टीम का ऐलान किया जाएगा। सही समय पर मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने की बात भी उन्होंने कही।
आप की एंट्री से किसका फायदा?
‘आप’ के इस ऐलान के बाद विधानसभा चुनाव के नतीजे पर पड़ने वाले असर को लेकर आकलन शुरू हो चुका है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी का संगठन मध्य प्रदेश में इतना मजबूत नहीं है कि सत्ता हासिल कर सके। लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय होने से चुनाव के नतीजों पर ‘आप’ का असर जरूर दिख सकता है। यह किसके पक्ष और किसके खिलाफ होगा, इस पर भी खूब चर्चा हो रही है। कुछ जानकारों का कहना है कि गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी भाजपा को फायदा हो सकता है। सत्ता विरोधी वोटों में यदि बंटवारा होता है तो भाजपा की राह आसान हो सकती है। वहीं, कुछ का यह भी कहना है कि ‘आप’ ने जिस तरह हाल के समय में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर दांव खेलना शुरू किया है, उससे पार्टी बीजेपी के भी कुछ वोटर्स को अपनी ओर खींच सकती है।
क्या भाजपा की राह होगी आसान?
भाजपा ने मध्य प्रदेश में ‘अबकी बार 200 पार’ का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ‘आप’ की एंट्री से भाजपा की राह आसान हो सकती है? कुछ जानकार इस सवाल के जवाब में गुजरात की ओर इशारा करते हैं, जहां पार्टी ने ऐसे ही हालात में रिकॉर्ड जीत हासिल की है। पार्टी को अब तक का सबसे बड़ा बहुमत मिला है। गुजरात में ‘आप’ को भले ही पांच सीटों पर ही जीत मिली, लेकिन पार्टी ने करीब 12 फीसदी वोटशेयर हासिल किया। वहीं, कांग्रेस का वोटशेयर घटने के पीछे ‘आप’ को जिम्मेदार माना गया। क्या गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी ‘आप’ की एंट्री से बीजेपी को ही फायदा होगा? इसके सही जवाब के लिए नतीजों का इंतजार करना होगा। लेकिन पार्टी के एक नेता कहते हैं कि देश में वोटर्स अभी दो धड़ों में बंटे हुए हैं, मोदी के पक्ष में या विपक्ष में। जो लोग मोदी और बीजेपी के साथ हैं, वे पूरी प्रतिबद्धता के साथ पार्टी के लिए वोट करेंगे। शेष वोट में विपक्षी दलों का बंटवारा है। नाम गोपनीय रखने की गुजारिश करते हुए पार्टी नेता ने कहा कि ‘आप’ यदि मजबूती से चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
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