भोपाल। राष्ट्रीय डेरी डवलपमेंट बोर्ड के आंकड़ों में भले ही दुग्ध का उत्पादन प्रतिवर्ष बढ़ा हो, पर हकीकत उसके उलट है। क्योंकि कोविड के बाद दुग्ध उत्पादन में आई कमी और तेजी से बढ़ रही मांग को लेकर दुग्ध के दाम में भी तेजी आई है। पहले दुग्ध संघ और स्थानीय पशु पालकों ने दुग्ध के दाम बढ़ाए थे, अब अमूल ने दुग्ध के दाम 3 रुपये प्रतिलीटर बढ़ा दिए है। अमूल के अधिकारियों का कहना है कि गुजरात से मप्र तक लगने वाला माल भाड़े से लेकर दुग्ध को पाश्चुरीकृत व पैकिंग और लेबर पर लागत बढ़ी है। इसलिए दुग्ध दाम बढ़ाए गए। जिस तेजी से शुद्ध दुग्ध की मांग बढ़ी है उससे आने वाले समय में दर और भी बढ़ सकती है। राष्ट्रीय डेरी डवलमेंट बोर्ड के आंकड़ों में वर्ष 2019-20 में मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति 568 ग्राम प्रतिलीटर दुग्ध की उत्पादन बताया गया है। दुग्ध डेरी व्यवसायी संघ के राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र मांडिल का कहना है कि अभी दुग्ध का भाव 52 रुपये प्रति लीटर है पर मार्च में दुग्ध पर 4 रुपये प्रतिलीटर तक दाम बढ़ सकते है।
मप्र में गुजरात का दुग्ध होता सप्लाई
अमूल का चिलर प्लांट धौलपुर में लगा हुआ है। ग्वालियर डिवीजन में प्रतिदिन अमूल 60 हजार लीटर दुग्ध की सप्लाई करता है। जबकि मांग इससे कहीं अधिक है। अमूल के चिलर प्लांट तक दुग्ध गुजरात से लाया जाता है। एक गाड़ी 12 घंटे का सफर तय कर गुजरात से धौलपुर पहुंचती है। जहां पर दुग्ध के प्रोसेसिंग और पैकिंग में भी इतना ही वक्त लगता है। इसके बाद यह दुग्ध आमजन के लिए बूथों पर सप्लाई किया जाता है। प्रदेश के पशुपालकों पर अमूल व सांची दोंनों ही संस्थाएं भरोसा नहीं जताती। खासकर भिंड व मुरैना से आने वाला मिलावटी दुग्ध के चलते अमूल यहां से दुग्ध नहीं लेता, इसलिए दुग्ध की सप्लाई गुजरात से होती है। इसी तरह से सांची भी ग्वालियर जिले के पशुपालकों से ही अधिकांश दुग्ध खरीद करती है। भिंड व मुरैना के चुनिंदा स्थानों से ही दुग्ध लेती है। इन दोंनो ही संस्थाओं के पदाधिकारियों का कहना है कि मुरैना व भिंड में सर्वाधिक मिलावटी दुग्ध तैयार होता है इसलिए इन स्थानों का दुग्ध खरीदकर जोखिम नहीं लेते। यह बात पिछले कुछ सालों में प्रशासन की कार्रवाई उजागर भी हो चुका है।
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