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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • January 30, 2023

    सिंधिया समर्थकों को बताया…क्या होता है संगठन?
    भाजपा में संगठन क्या होता है, ये शायद सिंधिया समर्थक अभी तक जान नहीं पाए हैं। जो सरकार में हैं वे तो और भी नहीं जान पाए होंगे, क्योंकि भाजपा में आते ही उन्हें मलाईदार कुर्सी मिल गई। जिन्हें नहीं मिली, वे संगठन में धक्के खा रहे हैं। पिछले दिनों एमपी-छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल द्वारा सिंधिया समर्थक मंत्रियों की क्लास लेना राजनीतिक गलियारे की सुर्खियों में बना है। पहली बार संगठन के अनुशासन के डंडे का सामना उन मंत्रियों को करना पड़ा है, जिनके बारे में भाजपा के ही नेताओं और कार्यकर्ताओं ने फीडबैक दिया कि वो सुनते नहीं हैं। कई मंत्रियों के आचार-विचार की शिकायत भी संगठन तक पहुंची है। कुछ मंत्रियों को तो जामवाल ने दो टूक कहा कि भाजपा मिशन 2024 की तैयारी है, ऐसे में उनका यह व्यवहार पार्टी के लिए मुसीबत पैदा कर सकता है। अब देखना यह है कि संगठन के डंडे का असर सिंधिया समर्थकों पर कितना होता है।


    पद की आस में नेता
    भाजपा के पदाधिकारियों में से जो लोग पार्षद बन गए हैं, उन्होंने दीनदयाल भवन की ओर देखना बंद कर दिया है या कहे कि पार्टी की गतिविधियों से किनारा कर लिया है। हालांकि अभी उन्हें पदमुक्त नहीं किया गया है, लेकिन काम भी नहीं हो रहा है। नगर अध्यक्ष ऊपर वालों के निर्देश की राह देख रहे हैं, ताकि खाली पदों को भरा जा सके तो कई ऐसे नेता जो पिछली बार पद की आस में रह गए थे, वे अब दीनदयाल भवन से अपने राजनीतिक आकाओं की मदद से आस लगाए हुए हैं। इनमें नगर उपाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष जैसे पद शामिल हैं।
    यात्रा के पहले विकास
    विधानसभा 3 के विधायक आकाश विजयवर्गीय ने पिछले महीने अपने क्षेत्र में वार्ड स्तर पर उन कार्यों का भूमिपूजन किया, जो स्वीकृत हो गए थे और उन कामों का लगे हाथों लोकार्पण भी कर दिया, जो पूरे हो चुके थे। हालांकि अब 5 फरवरी से विकास यात्राएं निकाली जाना हैं, लेकिन विजयवर्गीय के क्षेत्र में तो यात्रा के पहले ही विकास हो चुका है, फिर भी विजयवर्गीय ने अपने खास सिपाहसालारों और पार्षदों के साथ मीटिंग कर क्षेत्र में चल रहे कामों को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी की है और यात्रा का खाका बुना जा रहा है।


    दिखने लगी सख्ती…तो अगला नंबर किसका?
    पिछली बार संगठन की कमजोरी और अपने ही विधायकों से गच्चा खाए कमलनाथ इस बार किसी भी तरह की रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं। जिस तरह से उन्होंने संगठन की सर्जरी करना शुरू किया है, उससे तो यही नजर आ रहा है। कमलनाथ की टेढ़ी निगाह उन अध्यक्षों पर भी है, जो पार्टी के कामकाज को ताक पर रखकर अपने पद से अपनी शोभा बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस में चारों ओर अब यही चर्चा है कि इंदौर में अगला निशाना कौन होगा? हालांकि कमलनाथ ने संगठन की रिपोर्ट मंगा ली है। इसके बाद कुछ और पदाधिकारियों को बाहर कर काम करने वाले चेहरों को लाया जा रहा है। ये बदलाव अब अगले महीने कमलनाथ के प्रदेश लौटने के बाद ही नजर आएंगे। इंदौर में कुछ और नाम कमलनाथ के निशाने पर हैं, जिन्हें जल्द ही पद से हटाने की तैयारी की जा रही है।


    भगवा यात्रा से ताकत दिखाएंगे कुमावत
    संघ से जुड़े और भाजपा के पदाधिकारी रहे नानूराम कुमावत ने अयोध्या यात्रा से पांच नंबर विधानसभा दावेदारी शुरू कर दी है। इसके बाद अब वे और कुछ बड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं। अयोध्या यात्रा में उन्होंने पांच नंबर के ही कुछ पार्षद और पूर्व पार्षदों को इक_ा करके बता दिया कि वे उनके साथ हैं, वहीं अब वे एक बड़ी भगवा यात्रा निकालने जा रहे हैं, जो वार्ड स्तर पर निकलेगी और उसका रिकार्ड बनाने का दावा किया जाएगा, जैसे हर घर भगवा अभियान में किया गया था।


    कमलेश की पतंग और विजयवर्गीय की डोर
    कमलेश खंडेलवाल जब से भाजपा में आए हैं, तब से वे अपनी पतंग विजयवर्गीय और मेंदोला की डोर से ही उड़ा रहे हैं। 26 जनवरी को उन्होंने पतंग महोत्सव रखा और भाजपा के सभी नेताओं को बुलाया। मेंदोला तो आए, लेकिन विजयवर्गीय शहर में नहीं होने के कारण नहीं पहुंच पाए। खंडेलवाल आस में थे कि विजयवर्गीय की डोर से उनकी पतंग आसमान छू जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि हर साल होने वाले आयोजन में लोग तो बहुत आए, लेकिन खंडेलवाल की आंखें रास्ते पर ही लगी रही।
    बैठे-बिठाए कांग्रेसियों ने मोल ले लिया पंगा
    कांग्रेस भी जिस तरह से अनुशासन को लेकर सख्त हो रही है, उससे लग रहा है कि अब कांग्रेस भी अपनी पुरानी परिपाटी को छोड़ रही है। पिछले दिनों नए शहर अध्यक्ष के मामले में हुए पुतला दहन को लेकर अनुशासनहीनता के नोटिस दिए गए थे। इसमें वे कांग्रेसी फंस गए, जो बाकलीवाल के प्रति स्वामीभक्ति दिखा रहे थे। इनमें से कुछ अपने आपको गांधी भवन का स्वयंभू संचालक मंडल घोषित कर चुके थे। इसी कारण दूसरे कार्यकर्ता गांधी भवन आने में झिझकते थे। खैर अब नोटिस मिला है तो जवाब देना ही पड़ेगा, लेकिन कहा जा रहा है कि इन सब पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई होना तय है। 1 तारीख को नोटिस का जवाब देने की आखिरी तारीख है, वहीं इनमें से एक नेता ने तो अभी से ही पल्ला झाड़ते हुए जवाब लिखने की तैयारी कर ली है कि वे तो नियमित तौर पर गांधी भवन जाते हैं, पुतला दहन में वे नहीं थे, लेकिन किसी ने नाम ले दिया।


    ताई भले ही सांसद रहते अपने पुत्र को सक्रिय राजनीति में स्थापित नहीं कर पार्ई हो, लेकिन एक बार फिर उन्होंने छोटे बेटे मंदार को राऊ में सक्रिय कर दिया है, वहीं कल दो नंबर के एक कार्यक्रम में उनके बड़े पुत्र मिलिंद भी दिखाई दिए। राजनीतिक चश्मे से इसे फिर ताई की अपनी दूसरी पीढ़ी को राजनीति में सक्रिय करने के रूप में देखा जा रहा है। -संजीव मालवीय

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