आज दो सहाफियों (पत्रकारों) की दास्तान पेश-ए-खि़दमत है। पेले बात करेंगे विदिशा के दीप सिंह कुशवाह की। कोई 12 बरस एक्टिव जर्नलिज़्म करने वाले दीप सिंह कुशवाह ने 2 बरस पेले सहाफत से किनारा कर लिया। करना तो बहुत चाहते थे लेकिन सहाफत में वो मंजि़ल न मिली जिसकी चाहत थी। लिहाज़ा भाई ने इस प्रोफेशन को छोड़ के विदिशा में रेडीमेड कपड़ों की छोटी सी दुकान खोल ली। काम चल निकला और आज उनकी एक से दो दुकानें हो गई हैं। दीप सिंह बताते हैं कि बरकतुल्लाल यूनिवर्सिटी से बेचलर ऑफ जर्नलिज़्म करने क्व बाद राज एक्सप्रेस में नोकरी कर ली। तब पत्रकार विश्वेश्वर शर्मा उर्फ विश्शू भैया ने इन्हें राज एक्सप्रेस में जबलपुर डेस्क पे सब एडिटर बना दिया। साल 2014 में ये हरिभूमि में आ गए और 4 साल डेस्क पे काम किया। बिलासपुर भास्कर में भी इन्होंने काम किया। इसके बाद कुछ ऐसे हालात बने के इंन्ने सहाफत छोडऩे का मन बना लिया।
2 बरस पेले दीप सिंह ने विदिशा में रेडीमेड कपड़ों की दुकान खोल ली। काम चल निकला और हाल ही में इन्होंने दूसरी दुकान भी खोल ली। दिल मे समाजसेवा का जज़्बा है। लिहाज़ा इन्होंने वहां बेटियों को जीने दो मुहिम चलाई। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान भी ये चलाते हैं। करीब दो बरस से इन्होंने अपनी बिटिया के जन्मदिन से एक नई मुहिम चलाई हुई है। ये नवजात कन्या को एक जोड़ी कपड़े मुफ्त देते हैं। कोई भी माता पिता अपनी बेटी की पैदाइश के पांच दिन के अंदर उसका जन्म प्रमाणपत्र बता कर इनकी दुकान से बेटी के लिए मुफ्त एक जोड़ी कपड़े ले सकते हैं। हर माह पंद्रह से बीस जोड़ी कपड़े ये दान करते हैं। दो सालों में ये सैकड़ों कपड़े दान कर चुके हैं। आगे अपनी इस मुहिम को ये और वसी (विस्तार) करने वाले हैं। उसमें बीमार बेटी के इलाज का जनसहयोग से प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है।
जसप्रीत सिंह ज़ख्मी: हरिभूमि अखबार के केमरामेन जसप्रीत सिंह सड़क हादसे मे ज़ख्मी हो गए हैं। होशंगाबाद रोड पे हरिभूमि का दफ्तर है। परसों दफ्तर से जसप्रीत कवरेज के लिए निकले। तभी बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के पास किसी अनजान वाहन ने इने टक्कर मार दी। जसप्रीत के कंधे की हड्डी टूट गई है। केमरामेन को जेके अस्पताल में दाखिल कराया गया है। आज इनकी सर्जरी की जाएगी। आप जल्द ठीक हों सूरमा येई दुआ करता है।
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