डेस्क: दुनियाभर में कैंसर (Cancer) के मामले हर साल बढ़ रहे हैं. कैंसर कई प्रकार के होते हैं इनमें पैंक्रियाटिक कैंसर (pancreatic cancer) भी एक घातक बीमारी (Disease) है. इस कैंसर के लक्षण जल्दी नजर नहीं आते हैं. इस वजह से बीमारी के अधिकतर मामले एडवांस स्टेज में रिपोर्ट किए गए जाते हैं. ऐसे में मरीजों का इलाज भी एक चुनौती बन जाता है. डॉक्टर बताते हैं कि पैंक्रियाज एक ग्लैंड है जो पेट में ऊपर के हिस्से में होता है. ये पाचन एंजाइम के लिए जिम्मेदार होता है.
गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर विनय गायकवाड़ (Dr. Vinay Gaikwad) बताते हैं कि पैंक्रियाज में होने वाली बीमारी की वजह से इसका कैंसर पनपता है. इसकी शुरुआत पेट में दर्द से होती है. पीलिया भी इस बीमारी का एक बड़ा लक्षण होता है. ये कैंसर तब होता है जब पैंक्रियाज के आसपास की कोशिकाओं में अचानक तेजी से इजाफा होने लगता है.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट कैंसर (gastrointestinal tract cancer) के कुल केस में पैंक्रियाटिक कैंसर के करीब 18 फीसदी हैं और इसका नंबर पांचवां है. पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज ऑपरेशन से किया जाता है. इसमें कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी की जाती है. ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया जाता है.
क्या होते हैं पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण
इस कैंसर के कारण क्या हैं
डॉक्टर बताते हैं कि पैंक्रयाटिक कैंसर के होने के स्टीक कारणों का अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन धूम्रपान और जेनेटिक कारणों की वजह से ये कैंसर हो सकता है. इसके अलावा शराब का सेवन, मोटापा, लिवर सिरोसिस और डायबिटीज भी इस कैंसर के जोखिम कारक हैं. पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज काफी मुश्किल होता है. कुल मरीजों में से 5 फीसदी ही बच पाते हैं. इसका कारण यह है कि अधिकतर मरीजों में लास्ट स्टेज में रिपोर्ट किए जाते हैं. अधिकतर मामलों में मरीजों के लक्षणों की जानकारी 50 साल की उम्र के बाद ही पता चल पाती है.
मोटापा-डायबिटीज बढ़ा देते हैं खतरा
पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा हो जाता है. कई रिसर्च से पता चला है कि लोगों में टाइप-2 का पता चलने के बाद पैंक्रियाज के कैंसर के मामले रिपोर्ट किए गए हैं. ऐसे में लोगों को अपना मोटापा और डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहिए. मोटापे के कम करने के लिए खानपान का ध्यान रखें और डायबिटीज के मरीज अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें. इसके लिए रोजाना एक्सरसाइज करें और अपनी दवाओं को नियमित रूप से रखें.
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