नई दिल्ली (New Delhi)। भारत-मिस्र (India-Egypt) के बीच रणनीतिक साझीदारी (strategic partnership) होने से मध्य पूर्व देशों और इस्लामिक देशों के समूह (ओआईसी) (Group of Islamic Countries (OIC)) के बीच भारत की स्थिति मजबूत होगी। इससे भविष्य में पाकिस्तान (Pakistan) इस मंच का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी (Egyptian President Abdel Fattah El Sisi) के बीच हुई बातचीत में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कड़ा संकेत दिया गया।
किसी मुस्लिम राष्ट्र का आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ आना महत्वपूर्ण है। दरअसल, मोदी और सिसी के बीच हुई बैठक में आतंकवाद के सभी स्वरूपों पर चिंता प्रकट की गई। भारत और मिस्र दोनों ने इस बात पर सहमति प्रकट की सीमापार से होने वाले आतंकवाद को खत्म किया जाना चाहिए। इसके लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है। दोनों देशों ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सचेत करने का भी निर्णय लिया। यानी, भारत सीमापार आतंकवाद के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाएगा तो मिस्र उसके साथ खड़ा होगा। मिस्र का यह रुख महत्वपूर्ण है। इससे इस्लामिक देशों के मंच पर भी भारत को राहत मिलेगी। पाकिस्तान समेत कई देशों द्वारा इस मंच का अक्सर दुरुपयोग किया जाता है।
आपको बता दें कि सीमापार से जारी आतंकवाद से भारत सर्वाधिक प्रभावित रहा है। भारत द्वारा बार-बार इस मुद्दे पर दुनिया का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। लेकिन पाकिस्तान का रुख इस पर नहीं बदला है।
रक्षा क्षेत्र में साझेदारी
मिस्र इस्लामिक राष्ट्रों द्वारा किए जाने वाले दुष्प्रचार में शामिल नहीं रहा है, जिसकी वजह मिस्र और भारत की 75 साल पुरानी दोस्ती है। राष्ट्रपति सिसी की इस यात्रा के बाद अब दोनों देशों के बीच संबंध दो कदम और आगे बढ़े हैं। वह रणनीति साझेदारी की श्रेणी में आ गए हैं। इससे दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग मजबूत होने के आसार हैं। खासकर मिस्र और भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में औद्यौगिक साझीदारी शुरू हो सकती है। जिसके तहत भारत और मिस्र की रक्षा कंपनियां वहां साझीदारी में कारखाने स्थापित कर सकते हैं।
मिस्र भारत से मिसाइल, लड़ाकू विमान तथा अन्य रक्षा उपकरण खरीदने का इच्छुक है। इसी प्रकार अंतरिक्ष क्षेत्र में भी वह भारत की मदद चाहता है। सैद्धान्तिक तौर पर भारत इस पर सहमत भी है तथा इस दिशा में दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर पहले से ही चल रहा है। गुरुवार को जारी होने वाले संयुक्त बयान में इस बारे में और स्थिति साफ होने के आसार हैं।
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