नई दिल्ली (New Delhi)। टैक्स विवाद (tax dispute) सुलझाने के लिए विवाद से विश्वास और सबका विश्वास जैसी आयकर माफी योजना (income tax waiver scheme) की पहले चरण की सफलता को देखते हुए सरकार इस बार बजट में इसके दूसरे चरण का भी ऐलान कर सकती है। यानी पुराने कर विवाद (old tax disputes) निपटाने के लिए एक और मौका मिलने की पूरी संभावना नजर आ रही है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस तरह की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
10 से 20 फीसदी तक जुर्माना लगाने की संभावना
सूत्रों का कहना है कि इस योजना में संबंधित कर विवाद में 10 से 20 फीसदी तक जुर्माना लगाने की संभावना पर विचार कर रहा है। जबकि, आमतौर कर विवाद में भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाता है। इस तरह का कर माफी वाली योजना को एमनेस्टी स्कीम कहा जाता है। सरकार का मानना है कि इस योजना से लंबित मामलों का बोझ कम होगा। इसके अलावा इससे 38 हजार करोड़ रुपये का राजस्व भी मिल सकता है। उल्लेखनीय है सरकार ने इससे पहले जब ऐसी योजना का ऐलान किया था तो उसे काफी सफलता मिली थी। साथ ही 92 हजार करोड़ रुपये के करीब राजस्व भी मिला था। सूत्रों का कहना है कि इसके तहत स्वघोषणा से पुराने कर मामलों का निपटान किया जाएगा।
क्या होगा फायदा
– स्वघोषणा के जरिये लंबित मामलों का जल्द निपटान होगा।
– करदाताओं पर से आयकर विभाग केस हटा लेता है।
– आयकर विभाग पर से कर मामलों का बोझ घटेगा।
– योजना के प्रोत्साहन से कर राजस्व में इजाफा।
– कारोबार करना आसान करने यानी इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा।
कम लगता है जुर्माना
विवाद से विश्वास और सबका विश्वास जैसी कर माफी योजना कई मायनों में करदाताओं के लिए फाययदेमंद होती है। इसमें सामान्यत: 10 से 20 फीसदी तक जुर्माना वसूला जाता है। जबकि कर विभाग विवाद से जुड़े कर मामलों में 100 फीसदी से भी ज्यादा जुर्माना लगाता है। अधिक जुर्माना कई बार संबंधित पक्षों के लिए चुका पाना संभव नहीं होता है जिसकी वजह से वह इसे अदालतों में चुनौती देते हैं। इसकी वजह से कर का नुकसान होने के साथ आयकर विभाग पर लंबित मामलों का बोझ बढ़ जाता है।
सीमा शुल्क मामलों के लिए भी तैयारी
आयकर के साथ-साथ वित्त मंत्रालय सीमा शुल्क यानी कस्टम ड्यूटी से जुड़े कर विवाद मामलों के लिए भी कर माफी योजना पर विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पुरानी कर माफी योजना की सफलता के अलावा कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन संकट और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत के बावजूद पिछले साल निर्यात में तेज उछाल आया है। कई मामलों में निर्यातित उत्पाद के लिए कच्चे माल का आयात भी करना पड़ता है। ऐसे में उद्योग जगत का भरोसा बढ़ाने के लिए सरकार कस्टम ड्यूटी के लंबित मामलों के लिए भी कर माफी योजना की संभावना तलाश रही है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved