इंदौर। मरीजों को लाने ले जाने और डेड बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए भी एमवाय अस्पताल परिसर से संचालित एम्बुलेंस के संचालको की मनमानी से मरीजों और परिजनों को मुक्ति ही नहीं मिल रही है। प्रीपेड बूथ की व्यवस्था अब तक एमवाय परिसर में शुरू नहीं हो सकी है।
चालकों द्वारा ज्यादा राशि वसूलने, मनमानी करने और मरीजों के परिजनों को धमकाने तक की घटनाएं एमवाय परिसर में आए दिन देखी जाती हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी इन पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही। अब भी यहां पर एंबुलेंस के चालकों की गुंडागर्दी आए दिन देखी जा सकती है। चालकों की प्रतिस्पर्धा और मनमानी के चलते मरीजों की फजीहत हो रही है। कल देर शाम बड़वाह के मरीज की शिकायत पर एक बार फिर पुलिस सक्रिय हुई। पुलिस द्वारा की गई जांच में चार संचालकों के आपराधिक रिकॉर्ड मिले तो उन पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की गई। हाल ही में संयोगितागंज थाने पर एम्बुलेंस संचालक व चालकों को बुलाया गया था, जिसमें एसीपी पूर्ति तिवारी व टीआई तहजीब काजी ने सख्त हिदायत देकर समझाइश दी गई है। बाहर से आने वाले लोगों से एम्बुलेंस का किराया ज्यादा मांगने, धमकाने की शिकायतों के बाद यहां प्रीपेड बूथ बनाने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक यह व्यवस्था शुरू ही नहीं हो पाई है।
जिला अस्पताल में भी मोनोपोली
जिला अस्पताल परिसर में भी एंबुलेंस को लेकर मोनोपली चालू है यहां पर भी विशेष ग्रुप के लोग ही एंबुलेंस संचालित कर रहे हैं ।हालांकि अभी जिला अस्पताल में डिलीवरी यूनिट ही संचालित है जिसके कारण मरीजों की संख्या कम आ रही है। इस पर भी आए दिन एंबुलेंस संचालकों और मरीजों के बीच हुज्जत होती रहती है। नंदा नगर स्थित बीमा अस्पताल ,पीसी सेठीअस्पताल, एमटीएच अस्पताल मैं ज्यादातर 108 और जननी सुरक्षा के वाहन ही इमरजेंसी सेवा के मरीजों ओर प्रसूताओं को लेकर आते हैं लेकिन जो प्राइवेट एंबुलेंस संचालित है वह मरीजों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। कई बार मरीजों ने अस्पताल प्रबंधन से शिकायत दर्ज कराई लेकिन मामला सिफर ही निकला अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। शहरी क्षेत्र में संचालित हो रही एंबुलेंस में व्यवस्थाएं भी चाक-चौबंद रखी जाती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से मरीजों को लेकर आने वाली एंबुलेंस की जांच की जाना चाहिए।
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