जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र संघ की उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान का दौरा किया था। उनके साथ संयुक्त राष्ट्र संघ की दो और शीर्ष अधिकारी सीमा बाहौस और खालेद अमीरी ने अफगानिस्तान का चार दिवसीय दौरा किया था। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ अधिकारियों ने तालिबान के झंडे के साथ तस्वीरें लीं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की आलोचना होने लगी और लोगों ने संयुक्त राष्ट्र की निष्पक्षता और अखंडता पर सवाल उठा दिए। बता दें कि तालिबान के झंडे को अभी तक वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है।
उल्लेखनीय है कि तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता कब्जाने के बाद इसके झंडे में भी बदलाव किया था। तालिबान का नया झंडा सफेद रंग का है और उस पर शहादा लिखा है। इससे पहले अफगानिस्तान का झंडा हरे और लाल रंग का था। दुनिया के कई देशों ने तालिबान के नए झंडे को मान्यता नहीं दी है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों की तालिबान के झंडे के साथ तस्वीरें सामने आने के बाद इस पर विवाद हो गया है।
आलोचना के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस पर माफी मांगी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि यह तस्वीर नहीं ली जानी चाहिए थी। यह साफ तौर पर गलती है और हम इसके लिए माफी मांगते हैं। जिन कर्मचारियों ने यह तस्वीर ली है, उनके अधिकारी इस बारे में उनसे बात करेंगे। एजेंसी
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