इंदौर। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए बकायदा पोर्टल बनाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किए गए और 5 जनवरी तक यह रजिस्टेशन हुए और एक आंकड़ा 3600 रजिस्ट्रेशन का दिया गया, मगर विदेश मंत्रालय के साथ-साथ शासन, प्रशासन अभी तक यह नहीं बता सका कि इनमें से कितने प्रवासी वास्तविक रूप से इन्दौर पहुंचे और उसमें कई स्थानीय लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराए थे, उनकी संख्या कितनी रही। अलबत्ता होटलों में अवश्य तीन हजार से अधिक कमरे बुक हुए, जो कि अधिकारियों, मीडिया से लेकर अन्य व्यवस्था में लगे लोगों ने भी करवाए।
8 से 10 जनवरी तक आयोजित प्रवासी सम्मेलन में वैसे तो सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रही। सिर्फ 9 जनवरी को मोदी जी की मौजूदगी वाले उद्घाटन सत्र में ही गड़बड़ी हुई, जिसमें हॉल छोटा पडऩे के कारण कई प्रवासियों को प्रवेश नहीं मिल सका। दूसरी तरफ शासन-प्रशासन और विदेश मंत्रालय ने अभी तक मीडिया को यह जानकारी नहीं दी कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद वास्तविक रूप से कितने प्रवासी इंदौर पहुंचे और आयोजन में शामिल हुए। दरअसल कई लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिए थे। मगर ऐन वक्त पर वे नहीं आ पाए। यहां तक कि कई उद्यमियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित कई मोदी प्रेमियों ने 10 हजार रुपए खर्च कर रजिस्ट्रेशन करवाए थे और उन्हें भी जगह मिल गई। हालांकि कुछ लोग उनमें से भी नहीं पहुंचे। वहीं जिन 37 होटलों को चिन्हित किया था उनमें और उसके अलावा अन्य होटलों में 3 हजार से अधिक कमरों की बुकिंग हुई, क्योंकि कई प्रवासी ऐसे भी आए जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया और सीधे कमरों की बुकिंग कर आ गए। वहीं पधारो म्हारे घर में भी 100 से अधिक प्रवासी ठहरे। मगर अधिकृत आंकड़ा सभी प्रवासियों का नहीं दिया गया।
सुपर कॉरिडोर या अन्य कहीं आयोजन संभव ही नहीं था
इंदौर में चूंकि अधिक क्षमता वाला कोई कन्वेंशन सेंटर है नहीं, लिहाजा सुपर कॉरिडोर या अन्य स्थान पर प्रवासी सम्मेलन और समिट जैसा बड़ा आयोजन नहीं हो सकता था, क्योंकि रहने-खाने से लेकर तमाम व्यवस्थाएं लगती हैं, ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर ही उपयुक्त है। सिर्फ मोदी जी वाला कार्यक्रम वहीं पास में विशाल डोम बनाकर किया जा सकता था, जिसकी क्षमता 5 से 6 हजार दर्शक की रहती, तो कहीं कोई परेशानी नहीं आती। जिस तरह प्रदर्शनी के लिए डोम बनाया, वैसा ही डोम 9 जनवरी के उद्घाटन सत्र के लिए बन जाता।
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