इंदौर। दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भी कल सम्पन्न हो गई, जिसमें निवेश प्रस्तावों की झड़ी लग गई और 29 लाख लोगों को रोजगार मिलने के दावों के साथ लगभग साढ़े 15 लाख रुपए के निवेश प्रस्ताव हासिल हुए। हालांकि इनमें से कितने धरातल पर उतरेंगे ये आने वाले समय में पता चलेगा। वहीं मुख्यमंत्री की एक घोषणा चर्चा में रही कि उद्योगों को किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं और तीन साल तक कोई जांच-पड़ताल करने भी नहीं आएगा। जबकि इस घोषणा की हकीकत यह है कि सिर्फ लघु, सुक्ष्म और मध्यम श्रेणी यानी एमएसएमई को ही लाभ मिलेगा, वो भी मंजूर अधिसूचित क्षेत्रों में ही।
अन्य सभी तरह के बड़े उद्योगों को अनुमतियां लेना पड़ेगी, जिनमें बिल्डिंग परमिशन, फायर एनओसी से लेकर प्रदूषण सहित अन्य विभाग शामिल हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने भी बाद में यह स्पष्ट किया कि कहीं पर भी उद्योग लगा लें। अभिन्यास-नक्शा मंजूरी से लेकर किसी विभाग की अनुमति लिए बिना उद्योग शुरू किए जा सकेंगे और कोई भी निरीक्षक जांच करने भी नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री की घोषणा से ऐसा लगा मानों कि यह सभी तरह के उद्योगों के लिए है। मुख्यमंत्री कहा कि एमएसएमई यानी लघु, सुक्ष्म, मध्यम उद्योगों को ये सुविधा मिलेगी और वह भी अधिसूचित क्षेत्र में।
यानी जो क्षेत्र इंडस्ट्री एरिया घोषित किए गए हैं और जहां पर उद्योग उपयोग के लिए ही भूखंड विकसित हैं, वहां पर किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। जैसे उदाहरण के लिए एमपीआईडीसी कोई क्लस्टर विकसित करता है तो उसमें उसी क्षेत्र के उपयोग के लिए शर्तों के साथ भूखंड आबंटन किए जाते हैं। फर्नीचर, खिलौना, फुट वियर, मिठाई से लेकर कई तरह के ऐसे क्लस्टर लघु, सुक्ष्म और मध्यम विभाग के साथ-साथ एमपीआईडीसी विकसित भी कर रहा है। मगर अन्य सभी उद्योगों के लिए भवन अनुमति के साथ-साथ भू-उपयोग, प्रदूषण, फायर एनओसी सहित अन्य विभागों के नियमों का पालन करना भी होगा और इनमें छूट दी जाना संभव भी नहीं है।
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