इस्लामाबाद (islamabad)। विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में भारी कमी के कारण पाकिस्तान (Pakistan) आटा, चीनी, घी (Food Crisis) आदि जरूरी सामानों (essential goods) की कमी से तो जूझ ही रहा था, अब वहां दाल के लिए भी लाले पड़ने वाले हैं। पाकिस्तान के पास डॉलर की भारी कमी हो गई है जिस कारण दाल के छह कंटेनर (six containers of lentils) बंदरगाह (stuck in port) पर ही अटके हुए हैं. इन दालों की कीमत डेढ़ अरब डॉलर बताई जा रही है। जल्द ही रमजान का महीना भी आने वाला है. अगर यही हाल रहा तो पाकिस्तानियों को रमजान के महीने में भी दाल नहीं नसीब होने वाली।
शिपिंग कंपनियों ने बंदरगाह पर पड़े दाल के कंटेनरों पर 4 करोड़ 80 लाख डॉलर चार्ज किए हैं। कराची होलसेल ग्रॉसरी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल रऊफ इब्राहिम ने कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) के उपाध्यक्ष हारिस आगर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की आशंका जताई कि अगर जल्द ही दाल के इन कंटेनरों को नहीं छोड़ा गया तो रमजान के महीने में दालों की आपूर्ति पर भारी संकट आ जाएगा. दाल की कीमतों में भी फिर से भारी इजाफा होगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रऊफ इब्राहिम ने कहा कि बंदरगाह पर कंटेनरों के लंबे समय तक रुके रहने से दालों के खराब होने का डर है. इससे पाकिस्तान को विलंब शुल्क भी अधिक देना पड़ेगा. इब्राहिम ने जानकारी दी कि बंदरगाह पर फंसे दालों की कीमत डेढ़ अरब डॉलर है।
पाकिस्तान में मसूर, काले चने समेत 80 फीसदी दालों का आयात किया जाता है. लेकिन डॉलर की कमी के कारण देश के केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने दालों को आयात की लिए प्राथमिकता सूची में नहीं रखा है।
रऊफ इब्राहिम ने कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार को सुझाव दिया कि बंदरगाह पर अटके इन दालों को देश में लाने के बाद सरकार देश हित में सभी प्रकार के दालों के आयात पर प्रतिबंध लगा दे। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार दालों के लिए सभी आयात परमिट को निलंबित करे।
KCCI के हारिस आगर ने जानकारी दी कि देश में डॉलर नहीं है और इसी कारण घी और तेल के जहाज भी बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर बंदरगाहों पर अटका माल नहीं निकाला गया तो सिंध में दाल, घी और तेल का संकट पैदा हो जाएगा. इनकी कीमतों में भी भारी उछाल आएगा.
पाकिस्तान में फिलहाल चक्की आटे की कीमत 160 रुपये है और एक किलो चीनी की कीमत करीब 100 रुपये बताई जा रही है. लोग बिजली और खाने पकाने के गैस की किल्लत का भी सामना कर रहे हैं.
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