भोपाल। मध्यप्रदेश में शीतलहर का प्रकोप जारी है. इसके साथ ही राजधानी में भी पिछले करीब एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड का दौर जारी है। रात के साथ-साथ दिन में सर्द हवाएं चल रही हैं। इस करण दिन में भी लोग गर्म कपड़ों में नजर आ रहे हैं। हालांकि लगातार कहर बरपा रहीं सर्द हवाओं के बीच दिन में खिली तेज धूप ने लोगों को कुछ राहत जरूरी दी है लेकिन आनेवाले दिन और कठिन रहनेवाले हैं। मौसम विभाग ने बारिश और पाला पडऩे की आशंका जताई है। इधर मौसम विभाग ने 13 जनवरी के बाद मौसम और खराब होने के आसार व्यक्त किए हैं। पश्चिम विक्षोभ के असर से 13, 14 एवं 15 जनवरी को बादल और बारिश होने के आसार हैं। इस समय उत्तर-पूर्वी हवाएं चल रहीं हैं। एक के बाद एक पश्चिम विक्षोभ आने से उत्तर भारत में बर्फबारी का दौर है।
पाला पडऩे से फसलों को नुकसान
मौसम विज्ञानियों ने बताया कि उत्तर भारत के बड़े हिल स्टेशनों के उलट एमपी में आसमान साफ है। इसकी वजह से बर्फीली हवाएं सीधा असर दिखा रहीं हैं। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि तापमान जब 4 डिग्री या उससे कम पर पहुंच जाए तो उसे पाला पडऩा कहा जाता है। पाला पडऩे से फसलों को नुकसान पहुंचता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पाला पडऩे से मसूर और तुअर को नुकसान ज्यादा होगा। एक्सपर्ट के मुताबिक पाले से पडऩे से तुअर और मसूर को 40 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है जबकि मटर को 15 प्रतिशत नुकसान पहुंच सकता है। गेहूं और चने को भी इस स्थिति में करीब 10 प्रतिशत नुकसान हो सकता है। कृषि वैज्ञानिक राज सिंह कुशवाह का कहना है कि इस मौसम में पाले से फसल बचाने के लिए गंधक,यूरिया के घोल का निर्धारित मात्रा में छिड़़काव करना चाहिए। जिससे दो डिग्री तक तापमान का असर कम कर देता है। पाला पडऩे से नर्सरी पर अधिक नुकसान होता है। इसलिए रात्रि के समय पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढकें। जिन किसानों के फलदार वृक्ष की उम्र दो वर्ष है वह पौधों को घासफूस से ढक कर पाले से बचा सकते हैं। इसके अलावा थालों के चारों और मल्चिंग करके सिंचाई करें। छोटे किसान खेतों के क्षेत्रफल कम हो वह मेड़ों के ऊपर उत्तर-पश्चिम की तरफ घास फूस आदि में थोड़ा नमी बनाकर जलाकर धुंआ करें। यह क्रिया पाला बचाने में कारगार है।
ठंड से पशुओं को बचाने करें उपाय
पशुओं को घर के अंदर बांधने वाली जगह सूखी रखें, खिड़की दरवाजे बंद रखें, धूप निकलने पर पशुओं को खुले में लेकर जाएं और कुछ समय के लिए खुला छोड़ें। धूप न निकलने पर पशुओं को पशुशाला के अंदर ही रखें। पशुओं को संतुलित आहार दें, नमक व खनिज लवण मिश्रण वाला आहार दें। पेट में कीड़े होने पर उनके शरीर के भार के अनुरूप ही दवा दें। बरसीम या हरा चारा ताजा न खिलाएं। भैंस को ठंड में ढाई सौ ग्राम गुड़़ और 200 ग्राम मैथी दाना दें। भेड़-बकरी को 50-50 ग्राम गुड़ और मैथीदाना खिलाएं। बकरियों को 5 लहसुन की कली खिलाएं, रात में पशुओं के पास आग जलाकर रखें, दिन में तीन बार स्वच्छ पानी पिलाएं, जिस स्थान पर चारा खिलाया जाता उसे नियमित साफ करें।
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