उज्जैन (Ujjain)।प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री (Digvijay Singh Chief Minister) थे, तब उज्जैन के महावीर प्रसाद वशिष्ठ की प्रदेशभर सहित मुख्यमंत्री निवास एवं सचिवालय में तूती बोलती थी। दिग्गी के खास समर्थक रहते हुए महावीरप्रसाद वशिष्ठ (Mahavir Prasad Vashisht) के समय उज्जैन की राजनीति में कोई अन्य कांग्रेसी अपना वजूद कायम नहीं कर पाया। पुरानी पीढ़ी आज भी यह चर्चा करती है कि महावीर प्रसाद वशिष्ठ (Mahavir Prasad Vashisht) जिस फाइल पर हाथ रखते थे, वही मुख्यमंत्री सचिवालय से उठती थी, शेष की ओर चीफ सेके्रटरी भी नहीं देखते थे।
ऐसे महावीर प्रसाद वशिष्ठ के तीन पुत्र हैं। इनमें मझले पुत्र कांग्रेस पार्षद हैं और विधायक का चुनाव दो बार लड़कर हार चुके हैं। तीसरे पुत्र आलोक वशिष्ठ हैं, जिनके पास इस समय एमपी वशिष्ठ रहते हैं। वहीं सबसे बड़े पुत्र प्रवीण वशिष्ठ है, जिनको लेकर उनके ही पिता महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने मीडिया को बुलाकर, अंगुली उठाई है तथा गंभीर आरोप लगाए हैं।
उज्जैन दक्षिण विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक तथा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके 80 वर्षीय महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने मीडिया को आमंत्रित किया और चर्चा की। चर्चा में उनके तीसरे पुत्र आलोक वशिष्ठ भी शामिल थे। श्री वशिष्ठ ने आरोप लगाया कि-प्रवीण वशिष्ठ ने उनके द्वारा स्थापित संस्थान एमआयटी ग्रुप में 250 करोड़ रु.की अनियमितता की है। उन्होने इस संबंध में शासन-प्रशासन से जांच की मांग भी की।
श्री वशिष्ठ ने बताया कि उनके द्वारा स्थापित संस्था प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान के अधीन संचालित एमआईटी ग्रुप्र उज्जैन का व्यावसायिक तौर पर विभाजन कर दिया गया हैं। करीब दो दशक पहले प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव और अन्य शुभचिंतकों के सहयोग से इस ग्रुप की स्थापना कर महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड इंजीनियरिंग कॉलेजकी स्थापना की थी। वर्ष-2001 में 26 जुलाई को दिग्विजयसिंह ने इसका उद्घाटन किया था। उसकके बाद इसमें संस्थान जुड़ते चले गए।
उन्होने बताया कि प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान समिति में उन्होने कोई पद इसलिए नहीं लिया, क्योंकि वे चाहते थे कि तीनों पुत्र प्रवीण,राजेंद्र और आलोक वशिष्ठ प्रगति करें। महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बाद एमआयटीएम,फार्मेसी,एमबीए कॉलेज भी प्रारंभ किए गए।
इसीप्रकार वर्तमान में आलोक इंटरनेशनल स्कूल शुरू किया गया। महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने आरोप लगाया कि उनके बेटे प्रवीण का आचार,विचार,व्यवहार खराब हो गया। आरोप लगाया कि प्रवीण ने एमआईटी ग्रुप की पूंजी का मनमाना उपयोग किया। इसकी जानकारी उन्हे लगी तो आपत्ति ली। उन्होने दावा किया कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से संस्थान के आय-व्यय का ऑडिट कराने पर सामने आया कि प्रवीण ने बीते 10 वर्षों में संस्था की पूंजी का मनमाना उपयोग कर करीब 250 करोड़ रूपए की राशि को गैर मद में खर्च किया हैं। इससे वशिष्ठ परिवार और एमआईटी ग्रुप की प्रतिष्ठा धुमिल हो रही है। इसी के चलते उन्होने एमआईटी की हिस्सेदारी के बंटवारे का निर्णय लिया। अभिभाषक से सलाह के बाद विधि अनुसार बंटवारा कर दिया। प्रवीण वशिष्ठ को महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड इंजीनियरिंग कॉलेज,राजेंद्र वशिष्ठ को फॉर्मेसी कॉलेज और प्रवाह पेट्रोल पम्प तथा आलोक वशिष्ठ को आलोक इंटरनेशनल स्कूल एवं एमबीए कॉलेज दिया हैं। बंटवारे में सबसे अच्छा संस्थान पप्पू को दिया फिर भी वह असंतुष्ट है। प्रवीण मामले को और उन्हें कोर्ट में ले जाने की बात कह रहा हैं।
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