नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के एक हिस्से पर रोक लगा दी और नोटिस जारी किया. तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में (प्वाइंट सी) निर्देशित किया है. इस पर रोक लगाई जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में चुनाव कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है.
सीजेआई ने पूछा कि आपने आयोग गठित कर दिया है, क्या अधिसूचना जारी की गई है? सीजेआई ने पूछा कि निकाय का टर्म कब खत्म हो रहा है? इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि 31 जनवरी को खत्म हो रहा है. एसजी ने कहा कि आयोग तीन माह में रिपोर्ट तैयार कर लेगा.
सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर आदेश दिया है, राज्य ने ध्यान नहीं रखा. सीजेआई ने पूछा क्या आयोग जल्द रिपोर्ट तैयार कर सकता है. एसजी ने कहा मुझे इस बारे में निर्देश लेने पड़ेंगे. सीजेआई ने पूछा कि कितने प्रतिवादी हैं. एसजी ने कहा कि कुल 92 हैं. इसमें आवेदन दाखिल करने वाले भी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर क्या कर रहे हैं. एसजी ने कहा कि आयोग ने काम शुरू कर दिया है. एक इंटरवेनर की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए.
यूपी सरकार ने कहा कि कमीशन के जज से पूछकर बताना होगा कि कितने समय में इसको पूरा किया जा सकता है. मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इस तरह की प्रक्रिया को किया गया है. CJI ने कहा कि स्थितियां बिल्कुल स्पष्ट है कि किस तरह से ओबीसी आरक्षण दिया जाना है.
सीजेआई ने कहा कि हम इस पर कल सुनवाई करें. सीजेआई ने कहा कि हमें देखना होगा कि कौन सी अवधि समाप्त हो गई है. राज्य ने एक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. उस आयोग को मौजूदा ओबीसी की सूची में राजनीतिक पिछड़ेपन का पता लगाना है.
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