नई दिल्ली (new delhi)। नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला (Supreme Court’s decision on demonetisation) आने के बाद विपक्ष की बोलती बंद हो गई है तो वहीं भाजपा (BJP) ने कांग्रेस (AIC) पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा (Supreme Court’s decision on demonetisation) ने विपक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह हर बार गलत साबित हुए हैं। वो चाहे राफेल डील हो, आधार कानून हर बार कानून और जनता की अदालत में गलत साबित हुए हैं।
हेमंत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राफेल डील हो, आधार कानून हो, पीएम केयर हो या सेंट्रल विस्टा विपक्ष ने उन्हें असंवैधानिक करार दिया लेकिन हर बार कानून र जनता की अदालत में गलत साबित हुआ। कांग्रेस को चुनिंदा फैसलों का हवाला और बहुमत के फैसले को नजरअंदाज करने की आदत है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने होहल्ला मचाया था, लेकिन 2016 के बाद से कई चुनावी जनादेशों ने ऐतिहासिक फैसले को जनता का समर्थन साबित किया है। नोटबंदी से काले धन पर लगाम लगी है, नक्सली हिंसा में कमी आई है, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है और अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराया है!
हाल ही में नोटबंदी के हक में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा और मोदी सरकार के लिए बेहद अहम है। करीब छह साल पहले लिए गए इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दल सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले रहे। इसे लगातार असांविधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम लगातार दलील देते रहे, हालांकि अब शीर्ष अदालत ने इससे जुड़ी सभी 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत पर भाजपा के हौसले बुलंद
नोटबंदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद मिशन 2024 के लिए भाजपा के हौसले बुलंद हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, विपक्ष जानबूझकर भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए लगातार अदालत को गुमराह करने की नाकाम कोशिश करता रहा है। शीर्ष अदालत के फैसले से साफ हुआ है कि नोटबंदी का फैसला गरीबों के हक और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ लिया गया था।न्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि गांधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही किसी मुद्दे को समझते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपने प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘अपशब्द’ कहे थे और शीर्ष अदालत द्वारा मामले पर फैसला सुनाए जाने और जांच की मांग खारिज किए जाने के बाद ही वह रुके।
नोटबंदी के अहम पड़ाव
8 नवंबर, 2016 : पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 और 1000 रुपये के नोट पर रोक लगाने की घोषणा की।
9 नवंबर, 2016 : सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई।
16 दिसंबर, 2016 : तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने मामले को पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के पास भेजा।
28 सितंबर, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता में संविधान पीठ का गठन किया।
7 दिसंबर, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर फैसले को सुरक्षित रखा और केंद्र व आरबीआई को इसके अवलोकन के लिए प्रासंगिक दस्तावेज को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया।
विदित हो कि गत दिवस सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया। पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी, हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए।
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