देश में इंदौर का 14वां स्थान, ढाई हजार से ज्यादा हो गई संख्या – अच्छी मिल रही है फंडिंग भी, इन्क्यूबेटरों की क्षमता वृद्धि में भी सहायता
इंदौर। स्टार्टअप ब्लिंक की रिपोर्ट (startup blink report) के मुताबिक देश में इंदौर 14वें स्थान पर, तो राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) 29वें स्थान पर है। ढाई हजार से ज्यादा स्टार्टअप हो गए हैं, जिनमें 44 फीसदी तो महिला उद्यमियों द्वारा ही चलाए जा रहे हैं और 45 से अधिक इन्क्यूबेटर प्रारम्भिक चरण के स्टार्टअप को विकसित करने के लिए कार्यरत हैं। एमपी स्टार्टअप पॉलिसी के तहत अब कई तरह की सुविधाएं दी जा रही है, जिसमें सिंगल विंडो का लाभ भी शामिल है। अभी होने वाली ग्लोबल समिट के दौरान भी एमपी स्टार्टअप ईको सिस्टम पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया है, जिसमें शासन की नीतियों और योजनाओं की जानकारी दी जाएगी, ताकि अधिक से अधिक निवेशक फंडिंग कर सकें।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं। इनमें से 1100 से अधिक स्टार्ट-अप महिला उद्यमियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में 45 से अधिक इनक्यूबेटर्स प्रारंभिक चरण के स्टार्ट-अप को विकसित करने के लिए सतत कार्यरत हैं। केन्द्र सरकार का कपड़ा परिधान मंत्रालय का इनक्यूबेशन सेंटर ग्वालियर में है। देश में स्टार्ट-अप आंदोलन को गति देने और आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप 2023 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, राज्य सरकार ने एमपी स्टार्ट-अप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022 शुरू की है। इससे मध्यप्रदेश के मौजूदा ईकोसिस्टम को और बेहतर बनाने के साथ ही जनता के बीच उद्यमिता और नवाचार की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है। योजना का उद्देश्य ‘स्टार्ट-अप रैंकिंग’ में राज्य को अग्रणी बनाना है। इसके लिये योजना में स्टार्ट-अप्स और इन्क्यूबेटर्स के लिए सिंगल विंडो एजेंसी स्थापित करते हुए एमपी स्टार्ट-अप सेंटर (एमपीएससी) स्थापित किया गया है। एमपीएससी स्टार्ट-अप्स को मेंटरशिप प्रदान करता है और मंजूरी पाने और पूंजी जुटाने में सहायता करता है। कोई भी स्टार्टअप सीधे उनसे मदद प्राप्त कर सकता है। एमपीएससी कई स्त्रोतों से मार्केट इंटेलीजेंस एकत्र कर ईकोसिस्टम प्लेयर्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है। मार्केट इंटेलीजेंस का उपयोग सरकार की गतिविधियों के पुनर्मूल्यांकन के लिए किया जाता है, जो राज्य की आगामी नीतियों के लिये उपयोगी साबित होगा। एमपीएससी ने 2022 में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। एजेंसी ने 21 स्टार्ट-अप को 20 लाख रूपये और इससे अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की है। इस सहायता का उपयोग नए बाजारों में प्रवेश करने, उत्पाद विकास, व्यवसायों को बढ़ाने और कई अन्य मामलों के लिए किया जा रहा है। सहायता न केवल मौद्रिक शर्तों पर बल्कि कंपनी की मार्केटिंग एवं प्रमोशन के लिए भी प्रदान की जाती है।
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