नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्र की जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के कुछ कर्मचारियों ने 4 जनवरी को हड़ताल पर जाने की बात कही है. इसके पीछे सरकारी बीमा कंपनियों के पुनर्गठन का प्रस्ताव है. जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के ज्वॉइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन (JFTU) का आरोप है कि प्रस्तावित बदलावों के बाद सरकारी क्षेत्र की इकाइयां कमजोर हो जाएंगी. JFTU ने एक बयान में कहा कि प्रस्तावित बदलावों में दफ्तरों का बंद होना और मर्जर शामिल है, जिसमें मुनाफे वाले दफ्तर भी मौजूद है. यूनियन ने कहा कि इसके साथ की परफॉर्मेंस इंडिकेटर (KPI) भी लगाया जाएगा.
JFTU ने कहा कि पिछले कुछ सालों में, करीब एक हजार दफ्तर, जिनमें से ज्यादातर टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में स्थित हैं, वे बंद हो चुके हैं. इसका कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के बड़े स्तर पर बंद होने और हजारों दफ्तरों के मर्जर से न केवल पॉलिसीधारकों पर असर पड़ा है, बल्कि नागरिकों पर भी बड़ा प्रभाव हुआ है. उसने कहा कि इससे निजी बीमा कंपनियों को भी टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में बाजार पर कब्जा करने में मदद मिलेगी.
कर्मचारियों की यूनियन ने कहा कि चार बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, न्यू इंडिया एश्योरेंस लिमिटेड, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और GIC Re के करीब 50,000 कर्मचारी और अफसर 4 जनवरी को एक दिन की हड़ताल पर जाने वाले हैं. उसने बयान में आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पता चला है कि ज्वॉइंट सेक्रेटरी सौरभ मिश्रा अपनी मर्जी के मुताबिक नेशनल इंश्योरेंस के बोर्ड पर दबाव डाल रहे हैं. उसने कहा कि मिश्रा पहले भी चीफ टेक्नीकल ऑफिसर की नियुक्ति में अपने करीबीयों के लिए बड़ा पैकेज मांग चुके हैं.
इसके अलावा बता दें कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा सेक्टर में ईज ऑफ बिजनेस डूइंग बढ़ाने के लिए कई नियम बदले. खासतौर पर जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा का रूप काफी व्यापक हुआ है. वैसे 2020 में कोरोना की शुरुआत से ही इरडा ने स्वास्थ्य बीमा सेक्टर पर खासा ध्यान देना शुरू किया है. इस साल बीमा सेक्टर की सबसे बड़ी घटना भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी का शेयर बाजार में लिस्ट होना रही.
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