हरियाणा: हरियाणा के नगर निकायों ने 2014 से 22 तक 13 जिलों के 14 नगरपालिका क्षेत्रों में 1.37 लाख आवारा कुत्तों की नसबंदी पर 17.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने बुधवार को विधानसभा में फरीदाबाद एनआईटी के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही.
मंत्री ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम ने 2.87 करोड़ की लागत से अधिकतम 42,228 आवारा कुत्तों की नसबंदी की. इसके बाद पंचकुला नगर निगम ने 1.56 करोड़ की लागत से 17,346 आवारा कुत्तों की नसबंदी की. हैरानी की बात यह है कि यमुनानगर नगर निगम ने 16,170 आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए 14.25 करोड़ रुपये खर्च किए. मंत्री ने जवाब में कहा कि साल 2014 से 22 तक कुत्तों की नसबंदी के संबंध में राज्य सरकार द्वारा किसी भी जिले में कोई अनियमितता नहीं पाई गई.
फरीदाबाद नगर निगम ने 1.24 करोड़ की लागत से 14,698 आवारा कुत्तों की नसबंदी की, जबकि अंबाला नगर निगम ने 9,588 आवारा कुत्तों की नसबंदी पर 77.94 लाख खर्च किए. अंबाला सदर नगरपालिका परिषद ने 58.26 लाख की लागत से 6,283 आवारा कुत्तों की नसबंदी की. पानीपत नगर निगम ने ₹56.86 लाख की लागत से 7,983 आवारा कुत्तों की नसबंदी की, जबकि करनाल नगर निगम ने ₹58.99 लाख की लागत से 5,647 आवारा कुत्तों की नसबंदी की. जवाब में कहा गया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी से पहले राज्य सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत एक समिति का गठन किया गया था.
बता दें, इससे पहले गाजियाबाद नगर निगम ने पिटबुल और रॉटवीलर जैसी नस्ल के कुत्ते पालने पर रोक लगा दी थी. साथ ही दूसरी नस्ल के कुत्तों के बारे में भी नियम बनाए गए थे. कुत्तों के हमले की घटनाओं को देखते हुए यह फैसला लिया गया था. फैसले में कहा गया था कि जिन लोगों ने इन नस्लों के कुत्ते पाल रखे हैं, उन्हें 2 महीने के अंदर नसबंदी कराकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. ये भी कहा गया था कि समय अवधि समाप्त होने के बाद जुर्माना वसूला जाएगा.
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