- कलेक्टरों ने सरकार से छिपाई ठेकेदारों की हेराफेरी, मंत्री की भी चुप्पी
भोपाल। प्र्रदेश में शराब ठेकेदारों ने फर्जी चालान जमाकर सरकार को 4 साल में 56 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगाया। इतना ही नहीं आबकारी विभाग की मिलीभगत और कलेक्टरों की मेहरबानी से 4 साल में फर्जी फिक्स डिपॉजिट रिसीप्ट (एफडीआर) तैयार कराकर 7 हजार रुपए की एफडी को 70 लाख, तो 47100 की एफडी को 7 करोड़ रु. का बताकर 25 करोड़ रुपए का व्यापार आबकारी नीति के विरुद्ध जाकर कर लिया है। खास बात यह है कि जिला ट्रेजरी और आबकारी विभाग के अधिकारियों ने इस एफडी की बैंक से 3 दिन में भी जांच नहीं कराई और कलेक्टरों ने मामले को छिपाया। मामला सरकार के संज्ञान में आ चुका है, लेकिन कार्रवाई की संभावना बेहद कम है।
हेराफेरी की शुरुआत में इंदौर जिले में ट्रेजरी चालानों में हेराफेरी की गई। जांच में चला कि वित्त और आबकारी विभाग के अफसरों की मिलीभगत के चलते ठेकेदारों ने 41 करोड़ 65 लाख 21 हजार रुपए की एक्साइज ड्यूटी कम जमा की। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। इसी तरह जबलपुर जिले में 25 करोड़ 50 लाख रुपए की एफडीआर गायब हो गई है, जिसे छिपाया जा रहा है। सरकार भी इस प्रकरण में जानकारी देने में कतरा रही है।
आबकारी अधिकारियों ने नीति के विपरीत और बगैर प्रावधान के आरोपी लाइसेंसियों से जाली एफडीआर गारंटी के रूप में रखी, जबकि वे ऐसा नहीं कर सकते थे। अफसरों ने नियमानुसार बैंक चालान और एफडीआर के सही होने की पुष्टि भी नहीं की। दमोह, रीवा और धार में सेंट्रल जीएसटी विभाग ने जीएसटी चोरी का प्रकरण दर्ज किया। मामले में डिस्टलरियों में 19 अवैध टैंक लगाए गए, जिनसे उत्पादन की जानकारी नहीं दी गई। 2006 से सरकार को लगातार करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई गई। जब इसे पकड़ा गया तो सरकार ने मामूली पेनल्टी लगाकर अवैध टैंक को वैध कर दिया। सरकार ने 1 मई 2006 को आदेश जारी कर 16 करोड़ 5 लाख रुपए की वसूली निकाली।