वाशिंगटन। यूएस कैपिटल हिल हिंसा की जांच कर रहे पैनल ने अपनी रिपेार्ट में सिफारिश की है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आगामी राष्ट्रपति चुनाव में शामिल होने की अनुमति कभी नहीं मिलनी चाहिए। 854 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आपराधिक रूप से 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के वैध परिणाम पलटने की एक व्यापक साजिश रची और वह अपने समर्थकों को कैपिटल पर हमला करने से रोकने में भी नाकाम रहे।
ट्रंप व अन्य जैसों के खिलाफ कानून बनाने की मांग
हिंसा की जांच कर रहे पैनल के अध्यक्ष थॉम्पसन ने कहा, हमारा देश एक हारे हुए राष्ट्रपति को लोकतांत्रिक संस्थानों में हिंसा भड़काकर खुद को एक सफल अत्याचारी में बदलने की अनुमति देने से बहुत दूर आ गया है। पैनल की रिपोर्ट में सांसदों द्वारा एक कानून बनाने की भी मांग की गई है, जिससे ट्रम्प व अन्य लोग जो विद्रोह में शामिल हुए, उन्हें संघीय, राज्य या सैन्य पद को धारण करने से रोका जा सके।
1000 गवाहों से की गई पूछताछ
समिति ने पूर्व राष्ट्रपति की गतिविधियों और करीब दो साल पहले हुए हिंसक विद्रोह की 18 महीने तक जांच करने के बाद यह रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के लिए 1,000 से अधिक गवाहों से पूछताछ की गई और लाखों पन्नों के दस्तावेज खंगाले गए। ट्रंप के कई करीबी सहयोगियों से लेकर कानून प्रवर्तन के कुछ अधिकारी, कुछ दंगाइयों से पूछताछ की गई। रिपोर्ट में कहा गया, ट्रंप की पहल के बगैर छह जनवरी की कोई घटना नहीं होती। नौ सदस्यीय समिति ने कहा, विद्रोह ने लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा खड़ा किया और अमेरिकी सांसदों के जीवन को भी खतरे में डाला।
चार आरोपों के तहत ट्रंप पर मुकदमे का आग्रह
हाउस जनवरी छह समिति में सात डेमोक्रेटिक पार्टी के और दो रिपब्लिकन पार्टी के सांसद शामिल हैं। समिति ने जिन चार आरोपों के तहत ट्रंप के खिलाफ मुकदमा चलाने का आग्रह किया था वे आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालना, अमेरिका को धोखा देने की साजिश रचना, झूठे बयान देना और किसी विद्रोह को भड़काना या उसमें मदद करना हैं।
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