वॉशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और मानवाधिकार समूहों ने दक्षिणी एशिया (southern asia) के देशों से अंडमान सागर में कई हफ्तों से भटक रही एक नाव पर सवार लगभग 190 रोहिंग्या शरणार्थियों को बचाने की अपील की है। यूएन शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर (एशिया-पैसिफिक) ने ट्वीट कर कहा कि अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी (Andaman Sea and Bay of Bengal) के बीच भटके हुए करीब 190 लोग समुद्र में भूख-प्यास से मरने की कगार पर हैं। अगर उन्हें तत्काल बचाया नहीं गया तो भूख-प्यास से इनकी जान खतरे में पड़ सकती है। इनकी जान बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, रोहिंग्या शरणार्थी (Rohingya refugees) माने जाने वाले ये लोग एक महीने से समुद्र में फंसे हुए हैं और पर्याप्त भोजन या पानी की कमी से गंभीर स्थिति में हैं। लेकिन अब तब किसी भी देश की तरफ से इनकी मदद के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नाव पर कई महिलाएं और बच्चे हैं। इस दौरान 20 से अधिक लोगों के मरने की सूचना भी है।
यूएनएचसीआर की एशिया-प्रशांत क्षेत्र (Asia Pacific region) की निदेशक इंद्रिका रवात्ते ने कहा कि क्षेत्र के देशों को इन लोगों की जान बचाने में मदद करनी चाहिए ताकि इन्हें मरने से बचाया जा सके। हालांकि, इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस त्रासदी को रोकने का प्रयास होना चाहिए। ये इंसान हैं और इनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
पहली बार थाईलैंड के जल क्षेत्र में देखी गई थी नाव
थाईलैंड (thailand) के जल क्षेत्र में नाव देखे जाने की पहली रिपोर्ट के बाद, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर को इंडोनेशिया के पास और फिर भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट के पास नाव को देखे जाने की अपुष्ट जानकारी मिली है। अभी नाव अंडमान समुद्र में फंसी बताई गई है। यूएनएचसीआर ने क्षेत्र के सभी देशों से बार-बार इनका जीवन बचाने को प्राथमिकता देने के लिए कहा है। साथ ही इस सप्ताह की शुरुआत में भारतीय समुद्री बचाव केंद्र से अनुरोध किया था कि इन्हें नाव से उतरने की अनुमति दी जाए।
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