उज्जैन। विद्युत नियामक आयोग के समक्ष तीनों बिजली कम्पनियों ने दर वृद्धि की याचिकाएं दायर कर दी हैं। डिस्कॉम ने 1537 करोड़ का घाटा बताते हुए तीनों कम्पनियों से मिले प्रस्तावों के आधार पर 3 से 4 फीसदी तक दर वृद्धि की अनुशंसा की है। इंदौर की बिजली कम्पनी 602 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व बिजली की दरें बढ़वाकर अर्जित करेगी। आयोग ने 16 जनवरी तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित किए हैं, जिसकी वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए ऑनलाइन सुनवाई की जाएगी। यह सुनवाई 23 से लेकर 25 जनवरी को होना है। हर साल बिजली कम्पनियां घाटे का हवाला देकर घरेलू से लेकर औद्योगिक और अन्य श्रेणियों की दरें बढ़ा देती हैं।
मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग सालों से शासन की कठपुतली बना है, क्योंकि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों की बजाय आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति की जाने लगी है। पिछले कई वर्षों से सेवानिवृत्त मुख्य सचिव से लेकर अन्य आला अफसरों को आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता रहा है, ताकि शासन के इशारे पर निर्णय लिए जाते रहें। अगले साल चूंकि विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए बिजली की दरों में 8 से 9 फीसदी तक वृद्धि करने की बजाय 3 से 4 फीसदी तक वृद्धि के ही प्रस्ताव रखे गए हैं। इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के अलावा पूर्वी क्षेत्र और मध्य क्षेत्र की कम्पनियों ने भी अपने-अपने घाटे का हवाला देकर बिजली की दरों में वृद्धि की मांग की है। तीनों कम्पनियों को 1537 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व दर वृद्धि के बाद हासिल होगा। इसमें सबसे अधिक राजस्व वृद्धि 602 करोड़ की पश्चिमी क्षेत्र की होना है। जबकि मध्य क्षेत्र को 510 और पूर्व क्षेत्र को 425 करोड़ मिलेंगे। बिजली कम्पनी का कुल खर्चा 20965 करोड़ रुपए बताया गया है, जिसमें बिजली की लागत से लेकर कर्मचारियों की तन्ख्वाह सहित ब्याज-बट्टे, पारेषण क्षति और अन्य खर्चे शामिल हैं, जिसके चलते इतना राजस्व अर्जित करना पड़ेगा और जो अंतर है उसकी पूर्ति दर वृद्धि के जरिए हासिल होगी। फिलहाल जो वर्तमान बिजली की दरें हैं उससे बिजली कम्पनी को कुल राजस्व 18 हजार 727 करोड़ प्राप्त होता है, जिसमें 602 करोड़ रुपए की वृद्धि बिजली महंगी करने से हो जाएगी और तब 19329 करोड़ रुपए का राजस्व बिजली बेचने से होगा। घरेलू, गैर घरेलू, सार्वजनिक जल प्रदाय, कृषि से लेकर कोयला खदानें, औद्योगिक, शॉपिंग मॉल सहित अन्य श्रेणियों में दर वृद्धि की मांग की गई है। आयोग ने 16 जनवरी तक दावे-आपत्तियां मांगी हैं, जिस पर 23, 24 और 25 जनवरी को वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की जाना है।
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