काबुल। तालिबान ने जब से अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, तब से उसने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो काफी हैरान कर देने वाले हैं। इनमें महिलाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाने वाले भी कई फैसले शामिल हैं। हाल ही में तालिबान ने अफगान लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा पर बैन लगा दिया है। वहीं, अब तालिबान के उच्च शिक्षा प्रमुख ने अपने इस फैसले के पीछे का कारण भी बताया है।
विदेशी मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि महिलाओं का पुरुषों से मेलजोल रोकने के लिए उन्हें विश्वविद्यालयों में शिक्षा लेने से प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में लागू ऐसे पाठ्यक्रम जो इस्लामी कानून और अफगान गौरव के विपरीत हैं, इस्लामी मूल्यों का उल्लंघन कर रहे थे। उनके कारण भी ये फैसला लिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि छात्रावासों में महिलाओं की मौजूदगी, बिना पुरुष साथियों के प्रांतों से उनका आना-जाना और हिजाब की नाफरमानी को देखते हुए लड़कियों के लिए विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला लिया गया।
उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश
गौरतलब है कि बीते 22 दिसंबर को अफगानिस्तान की सत्ता में आसीन तालिबान ने ये फरमान जारी किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान शासित देश के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने एक पत्र में अगली घोषणा तक अफगानिस्तान में छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया था। ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के अनुसार, तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से उसने बुनियादी अधिकारों को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने वाली नीतियां लागू कीं, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ।
ब्रिटेन के पीएम सुनक ने जताई चिंता
पीएम ऋषि सुनक ने ट्वीट किया कि बेटियों के पिता के रूप में, मैं ऐसी दुनिया की कल्पना नहीं कर सकता जिसमें उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया हो। अफगानिस्तान की महिलाएं इस दुनिया को बहुत कुछ दे सकती हैं। उन्हें विश्वविद्यालय तक पहुंच से वंचित करना एक गंभीर कदम है। हम तालिबान को उनके कार्यों से आंकेंगे।
एंटनी ब्लिंकन ने दी प्रतिक्रिया
तालिबान द्वारा महिलाओं की विश्वविद्यालयी शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने अफगान महिलाओं को अवसरों के बिना एक अंधकारमय भविष्य की सजा देने की कोशिश की है। कोई भी देश तब तक सफल नहीं हो पाएगा जब तक उसकी आधी आबादी को योगदान करने का अवसर नहीं मिलता।
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