नई दिल्ली: चीन में कोरोना वायरस (Corona virus) का कहर काफी ज्यादा बढ़ गया है. वहां से डराने वाली रिपोर्ट्स आ रही हैं, जैसे- अस्पतालों (hospitals) में कतारें लग रही हैं. यहां तक की श्मशानों में भी जगह की कमी पड़ रही है. लोगों को दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं. इसी सबको देखते हुए भारत सरकार अलर्ट (Government of India Alert) हो गई है. कई तरह के कदम उठाने शुरू हो गए हैं. अब जानकारी सामने आई है कि केंद्र सरकार (central government) ने चीन से आने वाले यात्रियों का कोरोना टेस्ट करवाने के निर्देश दिए हैं.
सूत्र के मुताबिक, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीन से आने वाले यात्रियों का कोरोना टेस्ट करवाने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्र से ये भी पता चला है कि देश के हवाईअड्डों पर आज से कोविड-19 के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू हो गई है.
बता दें कि देश में अभी 10 अलग-अलग कोरोना के वैरिएंट हैं, इसमें सबसे नया वैरिएंट BF.7 है. फिलहाल देश में ऑमिक्रॉन के अलग-अलग वैरिएंट ही फैल रहे हैं. देश में आज भी डेल्टा वैरिएंट कहीं न कहीं देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही कहा गया है कि सभी को मास्क लगाने की जरूरत है, मास्क की जरूरत को कभी भी वापस नहीं लिया गया.
कोविड के नए स्वरूप से उत्पन्न स्थिति को लेकर जहां भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज तत्काल बैठक की, वहीं विभिन्न आंकड़ों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि चीन में सख्त जीरो कोविड नीति को वापस लिए जाने के बाद संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है. द इकोनॉमिस्ट में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जतायी गई है.
ये आंकड़े अन्य हालिया आंकड़ों से भी मेल खाते हैं, जिनमें द लांसेट पत्रिका की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट भी शामिल है। इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन में पाबंदियों में ढील दिए जाने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती हैं. द लांसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौतों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है. यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बुजुर्गों और कमजोर लोगों को कितनी संख्या में कोविड-रोधी टीके लगाए गए हैं.
इसमें कहा गया है कि ब्रिटेन के सीरोलॉजिकल अध्ययनों से पता चला है कि देश में लगभग सभी में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटी-बॉडी हैं. चीन के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनमें प्राकृतिक प्रतिरक्षा का स्तर निश्चित रूप से कम होगा. महामारी के दौरान देश में कोविड-19 के 20 लाख से भी कम मामले दर्ज किए गए थे.
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