बेलगावी । कर्नाटक में (In Karnataka) सत्तारूढ़ भाजपा (Ruling BJP) ने सोमवार को विधानसभा के सभागार में (In Assembly Hall) स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) वीर सावरकर के चित्र (Veer Savarkar’s Portrait) का अनावरण किया (Unveiled), जबकि विपक्षी कांग्रेस (Opposition Congress) ने इसका विरोध किया (Protested) । असेंबली हॉल में लगाए गए सात स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों में सावरकर का चित्र भी शामिल है।
समारोह कांग्रेस नेताओं और विधायकों की गैरमौजूदगी में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी, कानून मंत्री जे. मधुस्वामी और जल संसाधन मंत्री गोविंद करजोल और अन्य उपस्थित थे। भाजपा एमएलसी एन. रविकुमार ने कांग्रेस के विरोध पर आपत्ति जताते हुए कहा, स्वतंत्रता संग्राम केवल कांग्रेस नेताओं और नेहरू ने ही नहीं चलाया था। वीर सावरकर ने देश में क्रांतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया। रविकुमार ने सवाल किया विधानसभा, संसद और सार्वजनिक स्थलों पर उनकी तस्वीर नहीं लगाई जाएगी तो कहां लगाएंगे?
कांग्रेस के इस बयान पर कि अगर वीर सावरकर का चित्र लगाया जाता है, तो वे विधानसभा में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की तस्वीर लगवाएंगे, रविकुमार ने कहा, टीपू सुल्तान एक कट्टर, मंदिरों को नष्ट करने वाला था। उसने कन्नड़ को फारसी भाषा से बदलने का प्रयास किया। उसने केम्पे गौड़ा (बेंगलुरु के संस्थापक) और कुवेम्पु (प्रसिद्ध साहित्यकार) के सिद्धांतों के खिलाफ काम किया। उन्होंने कहा, विधान सौधा को छोड़ दें, हम टीपू की तस्वीर कहीं भी नहीं लगने देंगे। बीजेपी विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा कि कांग्रेस नेता भूल गए हैं कि इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर का डाक टिकट जारी किया था और अब विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा, हम टीपू सुल्तान की तस्वीर सामने नहीं आने देंगे। वह कट्टर थे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के बयान कि वीर सावरकर और कर्नाटक के बीच कोई संबंध नहीं है, भाजपा विधायक के.एस. ईश्वरप्पा ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कर्नाटक के बीच संबंध पर सवाल उठाया। ईश्वरप्पा ने कहा, शिवकुमार केवल तिहाड़ जेल और बेंगलुरु सेंट्रल जेल के बारे में जानते हैं। उन्हें सेलुलर जेल और अंडमान में स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली क्रूर सजा के बारे में अध्ययन करने की जरूरत है। सूत्रों के मुताबिक अनावरण समारोह के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए विधानसभा के चारों दरवाजे बंद कर दिए गए थे।
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