अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल,
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया।
बात जब अमुराग द्वारी की हो तो यकबयक हमारे जहन में एक तहजीब पसंद, खुश अखलाक और अपने सहाफत (पत्रकारिता) के पेशे के लिए जुनूनी बंदे का खयाल आता है। एनडीटीवी का ये रेजिडेंट एडिटर भोपाल के सहाफती हल्के में बड़ा मकबूल है। भाई अपने लबो-लहजे में जित्ता नफीस है भई अपनी खबरों में उत्तई कर्रा हेगा। गोया के जहां बी बात आमफहम के हक की आती है अनुराग वहां उनके इंसाफ के मजबूत सुतून बन जाते हैं। कोई खां हों…अगर गलत कर रय होंगे तो भाई मियां उने रगड़ देंगे। चोरों और बेईमानों के लिए इनके कने कोई रियायत या लिहाज नहीं होता। लिहाजा अपनी साफ-सुथरी सहाफत के लिए इने मुम्बई पिरेस कलब का भोत मुअज्जिज एजाज (प्रतिष्ठित अवार्ड) मिला है। गुजिश्ता हफ्ते नरीमन पॉइंट पे एनसीपीए के आडिटोरियम में मुनक्दीद हुए अवार्ड फंक्शन में इने क्राइम कैटेगरी के लिए रेड इंक अवार्ड दिया गया।
रिटायर्ड जस्टिस श्रीकृष्ण साब और पिरेस कलब के अराकीन ने इने एक लाख की नगद रकम और रेड इंक की जानदार ट्रॉफी अता करी। ये अवार्ड मुल्क के उन चुनिंदा सहाफियों को दिया जाता है जो सहाफत में औरों से हट के काम कर रहे हैं। इसके तहत मानव अधिकार, सेहत, पर्यावरण, सियासत,बिजनेस, खेल और कला की बीटों में जानदार काम करने वाले सहाफियों को नवाजा जाता है। इस मौके पे 94 बरस के सहाफी टीजेएस जॉर्ज को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। अनुराग द्वारी ने 14 बरस मुम्बई में एनडीटीवी के लिए काम किया है। इस लिहाज से रेड इंक इनके जज्बातों के ज्यादा करीब है। वैसे इस बरस अनुराग एशियन अवार्ड इन जर्नलिज्म के लिए भी नॉमिनेट हो चुके हैं। अपने मुल्क से सिर्फ तीन सहाफियों का नॉमिनेशन इसके लिए हुआ था। वैसे सिंगापुर में ये अवार्ड किसी और को मिला। बाकी इसके लिए नॉमिनेट होना ही भोत अहम होता है। भाई को झांसी में बहुत जल्दी रामेश्वरम अवार्ड से नवाजा जाएगा। भोत-भोत मुबारक हो मियां… आगे भी आप के काम को नवाजा जाए सूरमा येई दुआ करता है।
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