नई दिल्ली । वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय उद्योग (Indian Industry) को ‘टैरिफ वॉल्स’ के खिलाफ (Against ‘Tariff Walls’) तैयार रहें, जो भारतीय निर्यात (Indian Exports), विशेष रूप से इस्पात उत्पादों पर (Especially on Steel Products) हरित परिवर्तन करने वाले देशों द्वारा (By Green Transition Countries) लगाए जाने की संभावना है (Likely to be Imposed) ।
उन्होंने उद्योग निकाय फिक्की की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए कहा, “कई देश अपने हरित परिवर्तन को वित्तपोषित करना चाहते हैं और अन्य देशों के उत्पादों पर टैरिफ की दीवारें खड़ी कर रहे हैं। अगर हम ऐसी जगहों पर स्टील का निर्यात करते हैं, तो इस टैरिफ वॉल या हरित संक्रमण के लिए टैक्स का सामना करने की संभावना है। भारतीय उद्योग को तदनुसार खुद को रीसेट करने की जरूरत है।”
सीतारमण ने आगे कहा कि कई यूरोपीय देश चीन से बाहर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए अन्य देशों में स्थानांतरित होने की तलाश कर रहे हैं, भारत को इस अवसर का उपयोग करना चाहिए और खुद को यूरोप के लिए एक व्यवहार्य विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करना चाहिए। उन्होंने उद्योग से निर्माताओं को भारत लाने के लिए रणनीति तैयार करने का आग्रह किया।
मंत्री ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के कार्यकाल के दौरान, सरकार जी20 देशों के निवेशकों, विशेष रूप से विनिर्माण के लिए देश को एक गंतव्य के रूप में प्रदर्शित करेगी। सीतारमण ने विश्व आर्थिक मंच के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2030 तक देश में 140 मिलियन मध्यम आय वाले घर और 14 मिलियन उच्च कुल मूल्य वाले घर होंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह भविष्य में भारत के विकास के पैमाने को दर्शाता है। वित्त मंत्री ने सुझाव दिया कि इस संदर्भ में, उद्योग का ध्यान तकनीकी विकास को व्यापक बनाने, सरकार द्वारा प्रदान किए गए मजबूत ढांचे का उपयोग करने पर होना चाहिए।
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