नई दिल्ली । वर्ष 2023 कई मायनों में खास होगा। सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 अधिकमास वाला वर्ष है। इस वर्ष 13 माह होंगे। नए साल में 29 जून को देवशयन एकादशी (Devshayan Ekadashi) के साथ चातुर्मास (Chaturmas) की शुरुआत हो रही है, जो कि कुल 148 दिनों तक रहेगी। अधिकमास होने के कारण इस बार सभी पर्व त्योहार 15-20 दिन की देरी से आएंगे। 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ चातुर्मास की समाप्ति होगी। अधिकमास प्रत्येक तीन वर्ष में आता है। पिछली बार वर्ष 2020 में अधिकमास अर्थात पुरुषोत्तम मास लगा था।
सावन में पुरुषोत्तम मास
वर्ष 2023 में सावन के महीने में पुरुषोत्तम मास लग रहा है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि सावन मास महादेव को समर्पित है, लेकिन अधिकमास के स्वामी श्री विष्णु हैं, इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस बार सावन में पड़ने के कारण यह अधिकमास और भी विशेष हो गया है, क्योंकि इस मास में जो भी जातक निष्ठापूर्वक भगवान का चिंतन मनन करेगा, उन्हें हरि और हर दोनों की कृपा प्राप्त होगी। 19 वर्षों बाद ऐसा संयोग हो रहा है, जब सावन माह में अधिकमास लग रहा है। राकेश पांडेय ने बताया कि पिछली बार वर्ष 2020 में अश्विन मास में अधिकमास पड़ा था।
क्या है अधिकमास
वेदाचार्य पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि प्रत्येक तीन वर्ष के दौरान चंद्र वर्ष में एक माह जोड़ दिया जाता है। उस वर्ष 12 के स्थान पर 13 माह हो जाता है। इस बढ़े हुए माह को ही अधिकमास कहते हैं। यह सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाता है। बताया कि अधिकमास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है, जिसमें सूर्य संक्रांति नहीं होती, वह मास अधिकमास कहलाता है।
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