भोपाल। शिवराज सरकार ने तीस साल पुरानी जर्जर इमारत को तोड़कर नवनिर्माण करने के लिए मध्य प्रदेश आवास पुनर्विकास नीति-2022 लागू करने का निर्णय लिया है। इसमें सार्वजनिक तथा निजी आवासीय योजनाओं के साथ ऐसी आवासीय योजनाएं, जिन्हें जीर्ण-शीर्ण घोषित किया जा चुका है, उनका नवनिर्माण किया जा सकेगा। राज्य के सभी शहर नीति के दायरे में आएंगे। रहवासियों के लिए बिना किसी शुल्क के जीर्ण-शीर्ण भवनों के स्थान पर नवनिर्माण किया जाएगा। लीज होल्ड से फ्री-होल्ड करने के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना होगा। डेवलपर को कमजोर वर्ग के लिए आश्रय शुल्क जमा करने, संपत्ति बंधक रखने या बैंक गारंटी प्रस्तुत करने से भी छूट रहेगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में नगरीय विकास एवं आवास विभाग की मध्य प्रदेश आवास पुनर्विकास नीति को अनुमति दी गई। विभागीय मंत्री ने बताया कि पुनर्विकास परियोजनाओं में पचास प्रतिशत अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) दिया जाएगा। भूतल पर 40 प्रतिशत निर्र्माण मान्य होगा। आवासीय परिसरों में आवश्यक दुकानों के लिए एफएआर पांच प्रतिशत के स्थान पर साढ़े सात प्रतिशत क्षेत्रफल स्वीकार्य होगा। पुनर्निर्माण के बाद बेची जाने वाली संपत्ति पर भी अनुबंध की स्टांप ड्यूटी बाजार मूल्य का पांच प्रतिशत के स्थान पर मात्र .25 प्रतिशत लेगी। हितग्राहियों को पुनर्विकास इकाई के लिए पंजीकृत कब्जा या स्वत्व प्रमाण पत्र एक हजार रूपये में दिया जाएगा। रजिस्ट्री भी दोबारा नहीं करानी होगी। भूमि का उपयोग परिवर्तन भी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति कर सकेगी। पुनर्विकास योजना में भूमि के एक भाग पर हितग्राहियों के लिए आवास बनाने होंगे और दूसरे भाग का उपयोग डेवलपर करेगा। हितग्राहियों की सहमति से ही निर्माण कार्य होगा। यदि वर्तमान भूमि के स्थान पर दूसरी भूमि पर निर्माण किया जाता है तो इसके लिए भी सहमति अनिवार्य होगी।
कान्ह नदी के प्रदूूषित जल क्षिप्रा में मिलने से रोकने 598 करोड़ की योजना को मंजूरी
बैठक में इंदौर शहर एवं औद्योगिक क्षेत्र के पास से प्रवाहित होने वाले कान्ह नदी का प्रदूषित पानी उज्जैन में त्रिवेणी घाट के पास क्षिप्रा नदी से मिलता है। इसे रोकने के लिए कैबिनेट ने जल संसाधन विभाग की 598 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे दी। इसमें ग्राम गोठड़ा के पास स्टाप डेम बनाकर दूषित जल को व्यापवर्तन करते हुए उज्जैन शहर के कालियादेह ग्राम पास क्षिप्रा नदी में प्रवाहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने बैठक में कहा कि महाकाल लोक का निर्माण होने के बाद उज्जैन आने वालों की संख्या लाखों में पहुंच रही है। प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख लोग आ रहे हैं, इसलिए व्यवस्थाएं भी उसके अनुरूप ही बनानी होंगी। वहीं, ओंकारेश्वर में आर्र्चाय शंकर की 108 फीट ऊंची बहुधातु की प्रतिमा एवं आधार निर्माण के लिए 198 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इसके लिए पहले 148 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी।
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