बदलाव भोज और बदलाव यात्रा करेंगे कांग्रेसी
इंदौर। भारत जोड़ो का संदेश लेकर राहुल गांधी को अभी लौटे दो दिन ही नहीं हुए हैं कि शहर कांग्रेस में फिर गुटबाजी सामने आ गई है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने को लेकर सज्जनसिंह वर्मा समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया है और उनको हटाने को लेकर इंदौर से भोपाल तक की यात्रा निकालने जा रहे हैं। यही नहीं इसके पहले इंदौर में बदलाव भोज का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें अध्यक्ष विरोधी जुटेंगे।
इंदौर शहर कांग्रेस में बड़े दिनों से उठक-पटक चल रही है। लंबे समय से इंदौर शहर और जिलाध्यक्ष के पदों पर बदलाव की अटकलें चल रही हैं, लेकिन राहुल गांधी की यात्रा को लेकर किसी प्रकार कोई निर्णय प्रदेश कांगे्रस कमेटी द्वारा नहीं लिया गया था। शहर अध्यक्ष के लिए तो कई नेताओं ने लॉबिंग तक शुरू कर दी है। गुटबाजी में बंटी इंदौर की कांग्रेस को राहुल गांधी एकजुट नहीं कर पाए और जैसे ही उन्होंने मध्यप्रदेश को पीठ दिखाकर राजस्थाान में प्रवेश किया, वैसे ही यहां अध्यक्ष को बदलने की मांग ने जोर पकड़ लिया। पूर्वमंत्री सज्जनसिंह वर्मा समर्थक गिरीश जोशी और विवेक खंडेलवाल ने शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इंदौर से भोपाल तक बदलाव यात्रा निकालने का ऐलान किया है। यात्रा का उद्देश्य 2023 में कमलनाथ की सरकार प्रदेश में बनाने को लेकर किया जा रहा है। यात्रा संयोजक गिरीश जोशी ने बताया कि 11 दिसम्बर को बदलाव भोज का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी कांग्रेसी इकट्ठा होंगे। उन्होंने शहर कांग्रेस अध्यक्ष विरोधी लोगों से संपर्क करना भी शुरू कर दिया है। इसी दिन यह यात्रा भोपाल रवाना हो जाएगी। भोपाल पहुंचने पर पीसीसी में यात्रा में शामिल कांग्रेसी पदाधिकारियों से मिलेंगे और इंदौर का नेतृत्व बदलने की मांग करेंगे। हालांकि इस मामले में शहर के किसी भी बड़े नेता ने अपनी ओर से कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन बताया जा रहा है कि पीसीसी भी चाहती है कि इंदौर जिले और शहर के अध्यक्षों में बदलाव किया जाए, ताकि 2023 में अपेक्षित परिणाम आए।
जिलाध्यक्ष यादव भी है घेरे में
इंदौर के जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव को भी हटाया जाना है और इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्र के कुछ पदाधिाकरियों ने फिर से दौड़-भाग शुरू कर दी है, ताकि दोनों अध्यक्षों की रवानगी एकसाथ हो सके। हालांकि बहुत पहले से ही यादव विरोधी चुनाव परिणामों को लेकर उनके पीछे पड़े हुए हैं और उन्हें हटाने की मांग कर चुके हैं। पीसीसी ने भी संकेत दिए हैं कि जिन अध्यक्षों के कार्यकाल में गुटबाजी बढ़ी और हाल ही में निगम तथा पंचायत चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं आए, उन्हें बदला जाएगा। इसके साथ ही जिन अध्यक्षों के चुनाव लड़ाया जाना है, उन्हें भी हटाकर उनके स्थान पर दूसरे की नियुक्ति की जाएगी।
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