इंदौर। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) टीम ने अथक परिश्रम कर न्यू जनरेशन बिलिंग सॉफ्टवेयर तैयार किया था। इस बिलिंग सॉफ्टवेयर के कार्य और डेवलपमेंट के बाद सफलतापूर्वक संचालित होने से मप्र के लगभग 150 करोड़ रुपए बचे हैं। भारत सरकार ने इसकी प्रशंसा की है।
बिजली वितरण केंद्र की आईटी शाखा के करीब आठ इंजीनियरों ने न्यू जनरेशन बिलिंग सिस्टम तैयार किया था। इस सिस्टम को कंपनी के एक-एक कर पूरे 15 जिलों में लागू किया गया। इसके बाद मप्र के अन्य 37 जिलों में लागू किया गया। इस सिस्टम के पहले मप्र के सभी जिलों के बिजली बिलों की बिलिंग सॉफ्टवेयर से प्राइवेट रूप से अन्य एजेंसी से कराने पर प्रतिवर्ष प्रति बिजली कंपनी को करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ता था।
बिलिंग सॉफ्टवेयर मामले में आत्मनिर्भरता से बिजली कंपनी को कई प्रकार के अन्य लाभ भी हुए हैं। स्वयं का सॉफ्टवेयर और कार्मिक होने से छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान तत्काल कर लिया जाता है। इस तरह उपयोग में आसानी, आर्थिक बचत और उच्चतम तकनीक के चलते उक्त बिलिंग सॉफ्टवेयर सफल रहा। वर्ष 2020 से लेकर अब तक के करीब ढाई वर्षों में इस सॉफ्टवेयर ने मप्र के लगभग 150 करोड़ रुपए बचाए हैं।
कंपनी के लिए गौरव की बात
बिजली कंपनी की आईटी शाखा ने एनजीबी के माध्यम से न केवल हमें आत्मनिर्भरता दी है, बल्कि मप्र की अन्य कंपनियों की भी मदद की है। केंद्र सरकार के दल का इस सॉफ्टवेयर, बिलिंग व अन्य प्रक्रियाओं के अवलोकन के लिए इंदौर आना कंपनी के लिए अत्यंत गौरव का विषय रहा है। अमित तोमर, एमडी, मप्रपक्षेविविकं, इंदौर
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