नई दिल्ली: महिलाओं के सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ 2 महीनों से ज्यादा समय तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद अब ईरान की नैतिकता (मोरैलिटी) पुलिस की इकाइयों को भंग कर दिया गया है. स्थानीय मीडिया की ओर से ये जानकारी सामने आई है. समाचार एजेंसी ISNA ने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफ़र मोंटेज़ेरी के हवाले से कहा है कि “नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है और इसे समाप्त कर दिया गया है.”
रिपोर्ट के मुताबिक अटॉर्नी जनरल ने एक धार्मिक सम्मेलन में ये बयान दिया, जहां उनसे ये पूछा गया था कि “नैतिकता पुलिस को बंद क्यों किया जा रहा है”. नैतिकता पुलिस- जिसे गश्त-ए इरशाद या “मार्गदर्शन गश्ती” के रूप में जाना जाता है – राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के तहत “विनम्रता और हिजाब की संस्कृति को फैलाने” के लिए स्थापित की गई थी.
इकाइयों ने 2006 में गश्त शुरू की. नैतिकता पुलिस को भंग करने की घोषणा एक दिन बाद हुई जब जफ़र मोंटाज़ेरी ने कहा कि “संसद और न्यायपालिका दोनों (इस मुद्दे पर) काम कर रहे हैं” कि क्या महिलाओं को अपने सिर को ढंकने वाले कानून को बदलने की जरूरत है.
सख्त हिजाब कानून पर विचार करेगी ईरान सरकार
इससे पहले खबर आई थी कि ईरान में दिन पर दिन बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अब सरकार ने सख्त हिजाब कानून पर विचार करने का फैसला किया है. बता दें, ईरान में 13-14 सितंबर को 22 साल की युवती महसा अमिनी की मौत की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने अमिनी को इसलिए हिरासत में लिया था क्योंकि उन्होंने अपने सिर को नहीं ढका था, जो ईरान में महिलाओं के लिए एक जरूरी नीयम है. महसा अमिनी की मौत के बाद से ही विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और सैकड़ों महिलाओं और पुरुष सड़कों पर उतर आए और देश से इस कानून को निकाल फेंकने की मांग करने लगे.
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