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    ‘दवा का आधार कार्ड’: दवाओं पर बारकोड को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार की पहल

  • December 03, 2022

    नई दिल्ली: ‘दवा का आधार कार्ड’- नरेंद्र मोदी सरकार कुछ इस तरह सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं पर क्यूआर कोड या बारकोड अनिवार्य करने के अपने नवीनतम कदम को प्रचारित करने की योजना बना रही है. इस बारे में आधिकारिक सूत्रों से पता चला है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने, शीर्ष 300 ब्रैंड की दवाओं पर बारकोड अनिवार्य करने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 (Drugs and Cosmetic Rules, 1945) में संशोधन किया और इसमें नई अनुसूची H2 जोड़ा. इस कदम का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन के माध्यम से प्रामाणिकता और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करना है. यह नियम 1 अगस्त, 2023 से प्रभावी होगा. दो सरकारी सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अपनी इस पहल को ‘दवाओं के लिए आधार कार्ड’ के रूप में प्रचारित करेगी.

    इस पूरी प्रक्रिया से जुड़े पहले सूत्र ने बताया कि ‘ये क्यूआर कोड विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड, दवा का उचित और सामान्य नाम, ब्रैंड का नाम, मैन्युफैक्चरर का नाम और पता, बैच नंबर, दवा निर्माण की तारीख, दवा की एक्सपायरी डेट, और मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस नंबर सहित दवाओं की सभी जानकारी रखेंगे. यह हमारे आधार कार्ड के समान होगा, जिसमें नाम, जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी सहित हर मिनट का विवरण होता है.’ सरकार पूरे भारत में केमिस्ट आउटलेट्स पर दो अन्य योजनाओं के साथ, इस पहल को बढ़ावा देने की योजना बना रही है- जिनमें फार्मा सही दाम-Pharma Sahi Daam (दवाओं की अधिक कीमत लेने के बारे में शिकायत करने के लिए) और फार्माकोविजिलेंस-Pharmacovigilance (दवाओं के दुष्प्रभावों की रिपोर्ट करने के लिए)- शामिल हैं. इस कदम से इन 3 योजनाओं के बारे में उपभोक्ताओं में जागरूकता फैलेगी.


    दूसरे सूत्र ने कहा, ‘हम भारत भर में सभी रिटेल केमिस्ट आउटलेट्स पर इन होर्डिंग्स और बैनरों को अनिवार्य करने की योजना बना रहे हैं.’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पूरे भारत में सभी फार्मेसी आउटलेट्स पर बैनर लगाने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में भी कुछ बदलावों की जरूरत होगी. भारतीय फार्मा बाजार में सबसे अधिक बिकने वाली लोकप्रिय दवाएं जैसे एलेग्रा, डोलो, ऑगमेंटिन, सेरिडॉन, कैलपोल और थायरोनॉर्म उन 300 ब्रैंड्स में शामिल हैं, जो मार्केट में बारकोड के साथ अपने नए पैक पेश करेंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है. अभी पहले चरण में 300 दवाओं को इस दायरे में लाया जा रहा है, जो टॉप ब्रैंड की कुल बाजार हिस्सेदारी का लगभग 35 फीसदी हैं. दिसंबर 2023 तक सभी दवाओं को इसके दायरे में लाया जाएगा और उन्हें भी अपने पैकेट पर क्यूआर कोड देना पड़ेगा.

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