- कलेक्टर अविनाश लवानिया ने जनजाति वर्ग के गांवों में पेसा एक्ट का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के दिए निर्देश
- जनजाति समुदाय लघु वन उपजों एवं तेदूपत्ता के संग्रहण और विपणन का अधिकार तय करेगा
- समुदाय को लघु वन उपजों का उचित मूल्य प्राप्त होगा।
भोपाल। अब जिले में जनजाति वर्ग के गांव में शराब और भांग की दुकानें ग्राम सभा की अनुमति के बिना आवंटित नहीं की जाएंगी। वहीं, अस्पताल, स्कूल या धार्मिक स्थल के पास शराब व भांग दुकानें हैं तो उन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा। जिले में जनजाति समुदाय को जल, जंगल, जमीन, मजदूरों, महिलाओं और उनकी संस्कृति संरक्षण के पूर्ण अधिकार दिलाए जाएंगे। इसके लिए संबंधित विभागों के अधिकारी पेसा एक्ट कानून का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन करेंगे। यह निर्देश कलेक्टर अविनाश लवानिया ने विभाग के अधिकारियों को दिए।
कलेक्टर ने कहा कि जनजातीय समुदाय को गांव की जमीन और वन क्षेत्रों के नक्शे, खसरा बी-1 आदि पटवारी, बीट गार्ड उपलब्ध कराएंगे, जिससे जनजाति समुदाय के लोगों को तहसील के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। भू-अर्जन, खनिज सर्वे पट्टा और नीलामी के लिए ग्राम सभा की सहमति और अनुशंसा पर ही आवंटित किए जाने के अधिकार दिए गए हैं।
जनजाति गौरव के संरक्षण और संवर्धन के अधिकार भी पेसा एक्ट में नियत हैं, इसके अंतर्गत परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान का गौरव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी, आश्रम शाला एवं छात्रावासों का निरीक्षण एवं मानीटरिंग करने के अधिकार ग्राम सभा को दिए गए हैं। जनजाति समुदाय लघु वन उपजों एवं तेदूपत्ता के संग्रहण और विपणन का अधिकार तय करेगा। समुदाय को लघु वन उपजों का उचित मूल्य प्राप्त होगा। तालाबों के प्रबंधन का अधिकार, 100 एकड़ सिंचाई क्षमता के जलाशयों का प्रबंधन, तालाब, जलाशय, सिंघाड़ा, मछली पालन, उत्पादन गतिविधियों का अधिकार और जलाशयों को दूषित होने से बचाने का अधिकार ग्राम सभा को प्राप्त है। पेसा एक्ट में श्रमिकों के अधिकार भी ग्राम सभा को दिए गए हैं।