भोपाल। मप्र की धरती फिर हीरा उगलेगी। पन्ना में एनएमडीसी की मझगवां हीरा खदान से 23 माह बाद हीरा खनन को सुप्रीम कोर्ट ने हरीझंडी दे दी है। शीर्ष अदालत ने वर्ष 2035 तक के लिए यहां खनन की मंजूरी दी है। प्रदेश सरकार के खनिज साधन मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि अभी खदान के ऑपरेशनल होने से पहले पर्यावरण की अनुमति लेना शेष है। इसमें तीन-चार माह का समय लग सकता है। एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान वर्ष 1968 से शुरू हुई थी। अब तक खदान से करीब 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी करीब 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन शेष होने का अनुमान है। खदान गंगऊ अभयारण्य के 74.018 हेक्टेयर क्षेत्र में है। इसे चलाने के लिए जरूरी पर्यावरण और वाइल्ड लाइफ संबंधी अनुमति 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो गई थीं। 1 जनवरी 2021 से खनन बंद करने के निर्देश दे दिए गए थे। तब से यह खदान बंद है। हीरा विभाग को हर साल मिलने वाले कुल राजस्व में मझगवां का योगदान करीब 80 प्रतिशत है। जिला हीरा विभाग को 5 करोड़ से अधिक की आय होती थी।
हर साल पांच करोड़ से ज्यादा का राजस्व
2018-2019 में एनएमडीसी ने 5 करोड़ 3 लाख रुपए से अधिक रॉयल्टी के रूप में हीरा कार्यालय में जमा कराए थे। 2019-2020 में 5 करोड़ 27 लाख रुपए, 2020-2021 में 2 करोड़ 33 लाख रुपए पहली किश्त के रूप में जमा कराए गए थे। अब 23 महीनों में 80 से 90 हजार कैरेट हीरों का उत्पादन प्रभावित हो चुका है।
2040 तक हीरा खनन की लीज
प्रदेश सरकार ने मझगवां डायमंड माइंस प्रोजेक्ट के हीरों के उत्खनन की लीज दो साल पूर्व 2040 तक बढ़ाई थी। अब कोर्ट की ओर से 2035 तक अनुमति मिलने से एक दशक से भी अधिक समय तक खदान से हीरा खनन का रास्ता साफ हो गया है।
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