-डिजिटल रुपये को बढ़ाने के लिए शुरू करेगा राष्ट्रव्यापी अभियान
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) ने गुरुवार को खुदरा स्तर पर उपयोग के लिए रिटेल डिजिटल रुपया लॉन्च (retail digital rupee launch) किया। आरबीआई के इस कदम का कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने स्वागत किया है।
रिजर्व बैंक के रिटेल डिजिटल रुपया की खरीदारी फिलहाल चार प्रमुख बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से की सकेगी। खुदरा स्तर पर डिजिटल मुद्रा की शुरुआत का कैट ने स्वागत करते हुए कहा कि जल्द ही कारोबार में भुगतान के लिए इसको अपनाने और स्वीकार करने के लिए देशभर के व्यापारिक समुदाय के बीच एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की डिजिटल रुपया भारत में व्यापार और वाणिज्य में भुगतान के परिदृश्य को बदल देगा। खंडेलवाल ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था उपभोग पर आधारित है, जिसमे खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता राजा हैं। खंडेलवाल ने कहा कि डिजिटल मु्द्रा डिजिटल इंडिया की स्वीकार्यता के प्रसार में मदद करेगी।
खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है, लेकिन खुदरा स्तर पर नकद मुद्रा के उपयोग के कारण व्यापार में कैश करेंसी का एक बड़ा हिस्सा है जो बेहिसाब रह जाता है। डिजिटल मुद्रा की शुरुआत होने से प्रत्येक लेन-देन आरबीआई की पुस्तकों और भारत सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। हम दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे। हमारे देश में खुदरा बाजार का सटीक आकार रिकॉर्ड किए गए लेन-देन से प्रमाणित होगा।
कैट महामंत्री ने कहा कि खुदरा कारोबार की वास्तविक गणना करने से रिजर्व बैंक, भारत सरकार और व्यापारी तथा उपभोक्ता अनुकूल नीतियां बनाने की स्थिति में होगी। खंडेलवाल ने कहा कि प्रमाणित बिक्री कारोबार डेटा के अभाव में खुदरा व्यापारी बैंकों से लोन प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। डिजिटल मुद्रा की शुरूआत के साथ खुदरा विक्रेता के वास्तविक कारोबार को बैंकों से बेहतर ऋण प्राप्त करने के लिए डिजिटल लेन-देन के जरिए प्रमाणित किया जाएगा।
खंडेलवाल ने आगे कहा कि रिजर्व बैंक को मुद्रा की छपाई और वितरण में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन डिजिटल करेंसी से आरबीआई को भारी बचत होगी। डिजिटल करेंसी इको फ्रेंडली भी है। कागजी मुद्रा की छपाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज की बचत होगी। डिजिटल करेंसी से सॉफ्टवेयर उद्योग विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। जल्द ही हम डिजिटल इंडिया को व्यावहारिक रूप से लागू और स्वीकार करते हुए देखेंगे। इससे प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के लोगों को डिजिटल तकनीक की ओर ले जा रही है। डिजिटल उत्पादों के लिए विशाल बाजार निकट है। हम बाजारों में आने वाले स्टार्ट अप में अत्यधिक वृद्धि देखेंगे। जिसके फल स्वरुप रोजगार चाहने वाले अब रोजगार देने वाले बनेंगे। (एजेंसी, हि.स.)
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