धक्के खाते, गालियां सुनते और खुद की बिगाड़ी छवि को स्वीकार करते कांग्रेस के युवराज तेज-तेज कदमों से सडक़ें ही नहीं नाप रहे, बल्कि जनमानस को पढ़-समझ भी रहे हैं
इंदौर, राजेश ज्वेल। चलते हुए जीवन की रफ्तार में एक लय है… कांग्रेस (Congress) के युवराज ने लगता है ये लय पकड़ ली है। अपनी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के सिलसिले में इंदौर (Indore) आए राहुल (Rahu Gandhi) जब मीडिया से रूबरू हुए तो उन्होंने नि:संकोच यह बात स्वीकार की कि उनकी सोच और नजरिया बदला है। अब वे खुद की तरफ नहीं, सामने वाले की ओर से देखते और सोचते हैं। अब उन्हें गालियों से भी फर्क नहीं पड़ता और अब एक सामान्य व्यक्ति की तरह जनता से मिल रहे हैं और उनके प्यार से अभिभूत भी हैं। वहीं इसके साथ कई तरह की सीख और समझ भी उन्हें मिल रही है। यानी तीन हजार किलोमीटर से लम्बी इस यात्रा के साथ-साथ राहुल के दिलोदिमाग में भी एक यात्रा चल रही है।
बेबाकी से राहुल इस बात को भी स्वीकारते हैं कि उनकी छवि बिगाडऩे का एक लम्बा सिलसिला चलता आया है, जिस पर विपक्ष, खासकर भाजपा ने हजारों करोड़ रुपए खर्च भी किए हैं। मगर अब उन्हें धक्के खाने, गिरते-पड़ते और हर तरह की दिक्कतों का सामना करने की आदत हो गई है। वे मीडिया, खासकर गोदी पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूकते, लेकिन विवादित मुद्दों से अवश्य बच रहे हैं। दरअसल पिछले दिनों वीर सावरकर पर उन्होंने एक टिप्पणी कर दी थी, जिसको लेकर बीजेपी ने बवाल मचाया और महाराष्ट्र की यात्रा के दौरान वहां पर कांग्रेस की सहयोगी रही सेना को भी वीर सावरकर के मुद्दे पर राहुल के बयानों से किनारा करना पड़ा। जब कांग्रेस के वरिष्ठों ने यह बात युवराज को समझाई कि वे भारत यात्रा का फोकस, बेरोजगारी, महंगाई से लेकर जनता से जुड़े मुद्दों तक ही सीमित रखें। अन्यथा भाजपा का जो विशाल नेटवर्क है उससे यात्रा का मकसद बदलेगा और हमले तेज होंगे। यही कारण है कि इंदौर में मीडिया से चर्चा के दौरान राहुल पूरी तरह से सतर्क और सजग रहे और इस तरह के सवालों की गुगली में वे नहीं फंसे और चतुराई से कन्नी काट गए। भारत जोड़ो यात्रा में जनता का जो उत्साह नजर आ रहा है उससे सारे कांग्रेसियों के साथ-साथ राहुल खुद अचम्भित हैं। यही कारण है कि देरी से उठाए गए इस कदम को अब सही माना जा रहा है। हालांकि राहुल का यह कहना है कि यात्रा का समय अब आया और वे निकल पड़े। इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को क्या मिलेगा उस पर भी उनका भरोसा नहीं है। यहां तक कि विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस को कितनी सीटों पर फायदा होगा इस अंक गणित में भी वे नहीं पडऩा चाहते। उनका स्पष्ट नजरिया अब यह है कि वे देश की जनता से जुड़ें और उनसे रूबरू हों, ताकि उनकी जमीनी समस्याएं और यहां तक कि जो अपनापन, प्यार है उसे दिल से महसूस कर सकें। यही कारण है कि राहुल ने 2 हजार किलोमीटर से अधिक की अपनी इस यात्रा के गजब के संयम और समय के अनुशासन का भी परिचय दिया है। सुबह 4-4.30 बजे उठकर वे 6 बजे यात्रा के लिए तैयार हो जाते हैं और अब ऐसा लगता है कि उनकी जो तीखी आलोचना होती रही उस पर भी वे निर्विकार भाव से प्रतिक्रिया देते हैं। राहुल की इस यात्रा के संयोजक और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह खुद मानते हैं कि इस यात्रा ने राहुल के नजरिये को पूरी तरह से बदल दिया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों और अन्य सभी लोगों से वे आत्मीयता से मिलते हैं और एक तरह से देश को जानने में यह यात्रा मददगार साबित होगी, जो राहुल की छवि को भी बदल रही है।
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